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चम्मू चीटा

चम्मू चीटा चड्डी पहने, पढ़ने पहुंचे शाला । चड्डी तो थी नई- नई पर, नाड़ा ढीला ढाला। खेल- खेल में चड्डी उतरी, चम्मू जी शरमाये। दोस्त सभी उनकी कक्षा के, शेम- शेम चिल्लाये। घर आकर रोकर चम्मू ने माँ को हाल सुनाया। बेटे की हालत देखी तो, माँ का दिल भर आया। अब तो उसकी […]

चाचा नेहरू

रोज-रोज सपने में, आते हो झूठ-मूठ। एक बार सचमुच में आओ मेरे चाचा, हाथ में गुलाब लिए राह तेरी देख रहे, इसे अपने कोट पर लगाओ मेरे चाचा। तुम हमको प्यारे थे, तुमने भी प्यार किया, वह अपना प्यार फिर दिखाओ मेरे चाचा। -सतपाल, कक्षा-3 प्राथमिक विद्यालय हल्दूपोखरा, हल्द्वानी