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द्वंद चल रहा है मन में

-गीता उप्रेती, कपकोट(बागेश्वर) द्वंद चल रहा है मन में, आखिर रावण की क्या गलती थी? उसने तो केवल वही किया, जो एक बहना कि विनती थी। राम को मिला वनवास, मात-पिता की आज्ञा थी। संग गए लक्ष्मण और सीता, तो लंका कैसे दोषी थी? रावण की बहिन थी सूर्पनखा, करता था उससे स्नेह अथाह। जब […]

लक्ष्य

लक्ष्य की खोज में डूबे ना रहो अंधेरों में, लक्ष्य बनाना जीवन का प्रथम प्रमाण विद्यार्थी जीवन सर्वोच्च महान जीवन में कुछ करने की जिज्ञासा जगाओ अंधेरों से लड़ने की ज्योति जलाओ जीवन में कुछ सीखने की पहली उमंग जीवन की ये है पहली जंग कुछ करने की ठानो मन से भटको न ये जीवन […]

ये है पिता की छत्रछाया

जबसे होश संभाला, अपने सन्मुख है पाया। क्या है तुम्हें बतलाऊँ? ये है पिता की छत्रछाया।। पूछो उनसे जरा उनका हाल, जिनके पिता को उठा ले गया काल। सोचकर कांप उठती रूह मेरी, विनती है प्रभु न करना बेहाल।। जिम्मेदारियों ने यूँ भगाया है। पर न कभी हमें जताया है। देकर सदा ही सुख की […]

‘तुम न होते’

तुम न होते तो मेरा गम मुझे डुबो देता। कुरेद कर हर घड़ी जबरन मुझे ही खो देता।। ये आइना भी मैला हुआ जाता है फरेबी में। ये अक्स मेरा नहीं था जो वो मुझको देता।। ये जमाना भी महरूम है किसी मोहब्बत का। फिर कहो कैसे ये खुशी मुझको देता।। यूँ तो दरिया में […]

 हाँ मुझे प्रेम है

हाँ मुझे प्रेम है उस नन्हें बच्चे से जो हँसते-हँसाते रोते-बिलखते कबाड़ के ढेरों से दो जून की रोटी ढूँढ रहा।। या कहूँ उस से प्रेम जो इक हया की चादर में लिपटाकर गली,नालों या बीहड़ जंगलों में वात्सल्यता की पुजारिन हाथों फेंकी गयी हो।। हाँ मुझे प्रेम उस माँ से भी है जिसने नौ […]