Tag: bachapan ki kavitayen

क्यों बचपन गुमशुदा है

-कविता अग्निहोत्री, रूद्रपुर क्यों बचपन गुमशुदा है, कुछ मासूमों को सर्दी में दिन की चिंता है। और गर्मी में हवा की, वो चोट खाकर भी जी लेंगे, पर कमी है दवा की। माथे पर रेखा दिख रही चिंता की, क्यों बचकानी हरकतें जुदा हैं। इतनी भी उम्र नहीं हुई, बस बचपन गुमशुदा है। उड़ती चिड़िया […]

भूली -बिसरी बचपन की यादें

-गिरिलाल गोपाल मण्डल, रानीखेत, उत्तराखंड याद आता है वो पुराना स्कूल याद आती है वो हरियाली, रंग बिरंगे फूल पेड़ों की छाया में रहते थे मस्त, ना कोई टेंशन, ना कोई चिंता, कितने ही खेलों में रहते थे ब्यस्थ। कहा चला गया, वो प्यारा बचपन खुशियों की बारि शो में भीगा तनमन। मास्टरजी हमारे बड़े […]