पिता तो धरती पर स्वयं भगवान का रूप है, मेरे लिए तो यही जिंदगी का स्वरूप है। उंगली पकड़कर जिसने चलना सिखाया, कंधे पर जिसने बैठाया। याद आ जाती हैं वो कल्पनाएं, जिन्हें पिता ने सच बनाया। पिता तो धरती पर स्वयं भगवान का रूप है, मेरे लिए तो यही जिंदगी का स्वरूप है। कभी […]