Tag: ankita bhandari hatyakand par kavita

एक और दामिनी

-शोभा आर्या मां मै नन्ही गुड़िया तेरे आंचल की, तुम्हारा आंगन,गूंजता था कभी आवाज सुनकर मेरे पायल की। मां,क्या तुम्हारा उस गली में जाना हुआ, जहां आज, नाम के लिए सिर्फ अंधेरा और सन्नाटा है, पर उसी गली में मैने अपना आखिरी पल, चीखते चिल्लाते हुए कटा है। उस गली में गिरी मेरी खून को […]

सुनो ओ पहाड़ की बेटियों

-किरन पंत ‘वर्तिका’ जाने किसकी नजर लगी मेरे गांव को मेरी खुशियों को नीलाम कर गए। मेरे देवों की पुण्य भूमि को यह बाहरी दानव कलंकित कर गए। मगर भयभीत ना होना तुम एक पल भी यह तुम्हारी शक्तियों को जागृत कर गए। एक ने बलिदान दिया तुम संहार करोगी सुनो ओ पहाड़ की बेटियों…………. […]

फिर से एक माँ की…..

-पूजा नेगी (पाखी) फिर से एक माँ की तपस्या, बेकार हो गई। आज फिर देवभूमि से मेरी, इंसानियत शर्मसार हो गई। एक बार नही,बार-बार ये मंजर दोहराता है, क्योंकि यहाँ की सरकार,बेकार हो गई। कोई दण्ड नही,आरोपी को सुरक्षा दी जाती है। यहाँ की कचहरी जैसे,आरोपी की तारणहार हो गई। फिर से एक माँ की […]

फिर एक गुड़िया वहशी नजरों की हो गई शिकार

-बीना सजवाण, हल्द्वानी फिर एक गुड़िया वहशी नजरों की हो गई शिकार फिर देवभूमि समाज और इंसानियत हो गई शर्मसार एक अंकिता नहीं कितनी अंकिताओ को तड़पाया है फिर एक मां की सूनी कोख रोई एक पिता की आंखें शरमाई बहन की इस हालत पर एक भाई की आंखें लजाई कहते हम इसको ऋषि-मुनियों की […]