-अंजलि, भवाली काश माँ मैं तितली होती, आजादी से घूमती रहती। सुबह-सुबह माँ मैं उड़ जाती फूलों से रंग चुरा के लाती। बन जाती तेरे होठों की खुशी, काश माँ मैं तितली होती। रंग बिरंगे फूलों से मैं श्रिंगार तुम्हरा करती माँ। तुमको हमेशा हँसाती में, रूलाती कभी ना। काश माँ मैं तितली होती, हवा […]