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गुरु-महिमा

– अमीशा रावत 1)गुरु गीता की वाणी है, गायी गयी थी जो समरधरा में; गुरु मधुकर का रस है, जो नन्हे भौंरे का आसरा है; गुरु वसंत का सुहावना मौसम है, जो मदनकलियों का सहारा है। 2)दूर करे जो अज्ञान का साया, गुरु ज्ञान का है वो जगमगाता दीपक; गुरु केशव का पांचजन्य, जो विजयतरंग […]

घर-घर तिरंगा

-अमीशा रावत, निर्मल आश्रम ज्ञान दान अकादमी, ऋषिकेश अखबार के उस पन्ने पर छपा था एक ज्ञापन, घर-घर लगेंगे झंडे, हुई मैं तत्पर इस शुभ अवसर पर। पर क्या! देखा एक निर्बल जन को कहता जो, झंडा तो है मेरे पास पर घर तो हो रहने को विस्मित हो देखा मैंने उसके मुख को। सोचा […]