सच कहूँ एक बात तो है छत हो ना हो, पिता का हाथ सर पर होना जरूरी है। जैसे पेड़ खड़ा नहीं हो सका बिन किसी आधार के, वैसे ही मुश्किल होता है बुलंदी पाना बिन पिता के। है दरियादिली अंदर जिसके भरी अपार, पिता तो है जो कराता है जीवन की नैया पार। उठा […]
सच कहूँ एक बात तो है छत हो ना हो, पिता का हाथ सर पर होना जरूरी है। जैसे पेड़ खड़ा नहीं हो सका बिन किसी आधार के, वैसे ही मुश्किल होता है बुलंदी पाना बिन पिता के। है दरियादिली अंदर जिसके भरी अपार, पिता तो है जो कराता है जीवन की नैया पार। उठा […]