लाजिमी है जीना उसका हमारे लिए, नायाब है ; खि़ताब है| सुंदर पंखुडियों से सजा गुलाब है ; जो सज़ा कितनी भी सहन कर ले हमारी सौ खताओं के लिए, विश्व में हे पिता न तेरा कोई जवाब है।। अमावस में जब गलियों में निकलता, बिन मेहताब रहता मैं ठिठुरता। इंतजार रहता कि कोई प्यार […]