-किरन पंत ‘वर्तिका’
जाने किसकी नजर लगी मेरे गांव को
मेरी खुशियों को नीलाम कर गए।
मेरे देवों की पुण्य भूमि को
यह बाहरी दानव कलंकित कर गए।
मगर भयभीत ना होना तुम एक पल भी
यह तुम्हारी शक्तियों को जागृत कर गए।
एक ने बलिदान दिया तुम संहार करोगी
सुनो ओ पहाड़ की बेटियों………….
इस नवरात्रि तुम इन का विनाश करोगी
ना समझना सियासी धमकियों से डर गए
यह देवभूमि है लाखों यहां आकर तर गए। तुम्हारे गलत मंसूबे चलने ना देंगे
चले तो समझ लेना जीने ना देंगे।