January 08, 2023 0Comment

हाड़ कंपाती बर्फीली हवा

-पूरन भट्ट, हल्दूचौड़

दोस्तो,
कहना न होगा कि धुंध से उपजी ठंड और सूर्य की रश्मियों में अपना वर्चस्व सिद्ध करने का जो प्राकृतिक ड्रामा चल रहा है उसने तो हमारा जीना मुहाल किया हुआ है !

हाड़ कंपाती बर्फीली हवा नाक और कान सुन्न करते हुए सीमा पर खड़े जवानों की याद ताज़ा कर देती है जो शून्य से भी नीचे तापमान पर कार्य स्थल पर तैनात रहते हैं!

कड़ाके की ठंड ऐसी कि जोश ज़्यादा देर नहीं टिक पाता है और दिल से यही आवाज़ आती है कि —

नव वर्ष की आमद पर हमने पटाखे क्या फोड़े,
इजहारे मुहब्बत में दरवाज़ा ठंड ने खोला है !
नल नमस्कार पद्धति से काम चल रहा है पूरन,
“जान है तो जहान है”, बड़े बुजुर्गों ने बोला है !!

दोस्तो,आप सभी अपना ध्यान स्वयं रखें क्योंकि,आंशू पोंछने वाले हजार मिल जाएंगे मगर, नाक पोंछने कोई नहीं आएगा !

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