-ज्योत्सना कलखुड़िया, टनकपुर
सपना छिपा हुआ अंकुर है
नव विचार का फूल खिला
नई इमारत गढनी हो तो
सपना है आधार शिला
बिना विचारों के मंथन के
गाथा सभी अधूरी है
गर विकास की बात करें तो
सपना बहुत जरूरी है
-ज्योत्सना कलखुड़िया, टनकपुर
सपना छिपा हुआ अंकुर है
नव विचार का फूल खिला
नई इमारत गढनी हो तो
सपना है आधार शिला
बिना विचारों के मंथन के
गाथा सभी अधूरी है
गर विकास की बात करें तो
सपना बहुत जरूरी है