-प्रतिष्ठा पांडे
अंधकार अब नष्ट हुआ रोशनी फिर जगमग आई है
सुख और समृद्धि की बहार हर घर में छाई है
बना कर दिए मिट्टी के गरीबों ने आस लगाई है
मेरी मेहनत खरीदेंगे लोग सब ने आस सजाई है
हजारों की लड़ियां लगाकर सबने शान बढ़ाई है
पर गरीबों के दीयों की लो हमने आज बुझाई है
खूब पटाखे जलाकर हमने अकड़ दिखाई है
पर कुछ लोगों ने अपनी जान दवाई खा कर बचाई है
जैसे श्री राम ने रावण वध कर धरती मुक्त कराई है
आज के ऐसे रावण को हमने मार लगाई है
सुनिए ,
घर को बिजली से ना सजाना
ना महंगी लड़ियां मंगवाना
पटाखों को तो भूल ही जाना
और इस दिवाली दीए ही जलाना