September 28, 2020 7Comments

पिता हैं भगवान मेरे

-कुसुम दीपक शर्मा, लालकुआं, नैनीताल

पिता हैं भगवान मेरे,
पिता हैं सम्मान मेरे।
पिता से हैं अस्तित्व मेरा,
पिता से है पहचान मेरी।।
मरहम बनकर लग जाते,
जब चोट मुझे सताती।
पिता बिन दुनिया सूनी,
जैसे तपती आग की धूनी।।
पिता प्रेम की धारा हैं,
पिता जीने का सहारा हैं।
पिता का प्यार हैं अनोखा,
जैसे शीतल हवा का झोंका।।
हाथ पकड़कर चलना सीखाते,
पिता हमको खूब घूमाते।
आंसू बहाकर हमें हँसाते,
नींदें उड़ाकर हमें सुलाते।।
रोज हमें स्कूल पहुंचाते,
भारी बस्ता वहीं उठाते।
छुट्टी होते ही आ जाते,
समय पर हमें घर ले आते।।
भूूल जाना भले ही दुनिया को,
पिता को कभी भुलाना नहीं।
पूरे करो अरमान पिता के,
इस बात को कभी भुलाना नही।।

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gtripathi

7 comments

  1. बहुत सुंदर कविता है।
    पिताजी को बहुत सारा प्यार।

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    1. Deserves everyone’s love. May your father live along with healthier life.

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      1. Wow…. beautiful lines

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  2. Superb poem

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  3. Bhut sundr Kavita h

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  4. Nice poem

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  5. Beautiful lines

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