-अंजलि, हल्द्वानी
पापा की लाडली हूँ उन्हे पहचानती हूँ,
पापा तो कम ही बोलते हैं उन्हें जानती हूँ।
पापा की लाडली हूँ, आदतें पहचानती हूँ।
पापा यू तो कम ही बोलते हैं जानती
हूँ।
लेकिन राज जब दिल के खोलते हैं,
तो उनके आँखो के आसू बोलते हैं।
पापा की लाडली हूँ उन्हे पहचानती हूँ।
चुप-चुप रहते हैं कियू पापा,
किसी ने जानने की कोशिश की।
पापा की लाडली हूँ उन्हे पहचानती हूँ,
दोस्तों के साथ तो बहुत पार्टी कर ली,
आओं पापा के संग भी पार्टी करे।
पापा ने सारी जिंदगी हमें सोफ दी,
आओ खुशियों के पल उनकी झोली
में भरे।
पापा की लाडली हूँ उन्हे पहचानती हूँ।
पापा तो कम ही बोलते हैं उन्हें जानती हूँ ।
दुःख होता है उन्हें पर किसी को बताते नहीं।
अपने बच्चों से प्यार करते है मगर जताते.
पापा की लाडली हूँ सब जानती हूँ।
पराई हो गई तो किया हुआ,
पापा की धड़कनो को पहचानती हूँ।
पापा के सिने में धड़कती हूँ अब भी, सब जानती हूँ।
बेटी जब बिदा होती हैं तो,
पापा की आखें रोती है।
पापा की लाडली हूँ उन्हे पहचानती हूँ।
सम्मान कर लिया यदि पापा का सबने।
झोलीया भर दी दुवाओ से रब ने।
पापा की लाडली हूँ उन्हे जानती हूँ।
पापा तो कम ही बोलते हैं उन्हें पहचानती।
सारी जिंदगी उन्होंने हमारी ख्वाहिशे
पूरी करने में बिता दि।
आओ उनकी झोली में भी खुशीया भरे।
कर ले पापा से दोस्ती हम ,जैसे पापा ने थामा बचपन मे हाथ हमारा।
हम भी हाथ पापा का थाम ले।
पापा की लाडली हूँ उन्हे पहचानती हूँ
पापा तो कम ही बोलते हैं उन्हें जानती हूँ।
पापा की आदतें पहचानती हूँ ।