-रमाकांत ताम्रकार, जबलपुर मप्र
मेरा छोटा भाई रेलवे स्टेशन पर आवारागर्दी करते समय पकड़ा गया । उसके बाकी साथियों में से कुछ मौका देखकर, कुछ चकमा देकर स्टेशन पर पुलिस की पकड़ से भाग गए । मेरे छोटे भाई का एक खास मित्र था वह भी पुलिस से बचकर भागा और पास के ही टेलीफोन बूथ से उसने थानेदार को फोन किया। उसके पास मोबाइल था किंतु उसे डर था कि मोबाइल से फोन करने पर वह पकड़ा जाएगा । आजकल के लड़के 18 वर्ष की उम्र के पहले ही समझदार हो जाते हैं । यही हिंदुस्तान का सबसे अच्छा और बड़ा विकास है, उन्नति है । देश की फिल्मों और टीवी ने सारे हथकंडे सिखा दिए हैं। इनकी बदौलत हमारे युवा समय से पहले ही दांवपेच सीख गए हैं ।
“मैं विधायक बोल रहा हूं, अभी-अभी आपने जिस को रेलवे स्टेशन पर पकड़ा है वह सत्ता पार्टी का महत्वपूर्ण कार्य करता है उसे छोड़ दो ।”
इस पर थानेदार ने उसे नहीं छोड़ा, उसके साथी ने थानेदार को हर प्रकार से धमकाया लेकिन थानेदार टस से मस नहीं हुआ। शायद थानेदार समझ गया था की फोन करने वाला कोई नेता-वेता नहीं है । जब मेरे छोटे भाई को पुलिस से छुड़वाने की कोई स्थिति नहीं बनी तब उसका साथी मेरे पास आया और उसने सारी घटना मुझे बताई । मैं असमंजस में पड़ गया कि अब किससे कहूं जिससे मेरा छोटा भाई पुलिस की पकड़ से छूट जाए । पुलिस के नाम से मेरे पसीने छूटने लगे ।
क्षेत्र के एक नेता जी जो कि मेरे आंशिक परिचित थे, पर वे विरोधी दल के नेता थे । मैंने उन से निवेदन किया । मैंने पाया कि वह मुझे अपने जाल में फंसा हुआ देखकर बड़े ही प्रसन्न हुए । मेरी मनुहार पर वह थाने जाने तैयार हो गए । मैं भी उनकी शान के अनुरूप किराए की कार लेकर उनके साथ थाने पहुंचा । नेता जी ने मेरा परिचय थानेदार से कराया और कहा –
“जिनको आप ने पकड़ा है वह मेरी पार्टी के महत्वपूर्ण पदाधिकारी के साथ साथ इनके छोटे भाई हैं ।”
इस पर थानेदार मुस्कुराया और कहने लगा “लेखक महोदय आज तो आपके साथ व्यंग्य हो गया है।”
मैंने कहा “मैं समझा नहीं।”
इस पर थानेदार कहने लगा “अभी सत्ता पार्टी की ओर से फोन आया था वह उसे अपना कार्यकर्ता बता रहे थे और अब आपके सामने ही विरोधी दल के नेता उसे अपना महत्वपूर्ण पदाधिकारी बता रहे हैं क्या ऐसे ही लोग आप लोगों की राजनैतिक पार्टी के सदस्य हुआ करते हैं, वाह भाई वाह ।”
मैं और नेताजी निरुत्तर थे।
लेकिन मुझे समझ में आ गया था कि राजनीतिक पार्टियों में अपनी ना कामयाबी छुपाने के लिए और गलत कार्यों को करने के लिए ही लोग जाते हैं । इसलिए कहा जाता है कि नेता शेर की खाल में भेड़िया होता है।