-अक्षिता बिष्ट, कक्षा-9,
दून कान्वेंट स्कूल, हल्द्वानी
हरि – भरि हरियाली या कि
शान छू यो मेयर पहाड़ों की
रंगीली या तितली घूमें, पहाड़ बैटी फूल तकी
रेशमी – रूमाल जैसी धान लागी खेती बटी खलियानों तकी
उजियारी धूप याकी चमकें रये हीरे जैसी
सबुवैती अलग छ मेरो यो पहाड़
उत्तराखंड की नन्दा देवी,पूर्णागिरी धामा
आशीर्वाद के दगड तुम फली फूली जाला
या जब लें आला त तुम स्वर्ग ज लगाला
जो तुम हमार घर में आला
त तुमुकें चाह हम पिलुल
जो गुण – मिररी खाला त तुम मिठु- मिठु बुलाला
हमर – दगड़ बात करा तुम दुई पल गुजारा
हम पहाड़ा के दगडु हु हम यैक दगड़ रूला
हमर रिति हमर पछयाण हमार बुलाण, निशान
माथ में मागटिक ,कानू में छाजै कनफुली
गलो में गलुबंद, हाथ में पौजी कुनी
खवर में पिछौड़ी ओडी, तिर बे कोटी-नौ पाटा घघरूली
हम पूजनु आपण पौणौं कू इष्ट समाना
नौक नहीं मानन कै बात की हर दाज्यू हति हमर प्रणामा ।