-ललिता मिश्रा, एक्सपोंसियल हाईस्कूल, बिंदुखत्ता
कभी डांट कर उसने प्यार जताया,
कभी रोक-टोक कर उसने चलना सिखाया।
कभी काली स्लेट पर चाॅक से उज्ज्वल
भविष्य का सूरज उगाया,
कभी गलतियां छुपाकर, कभी गलतियां बताकर,
एक सच्चे गुरू होने का फर्ज निभाया,
कभी माॅं-बाप बनकर सलाह दी तो कभी दोस्त
बनकर हौसला बढ़ाया
तहे दिल से शुक्रिया उन शिक्षकों का जिसने
मुझे इस काबिल बनाया।
September 13, 2020
Very nice poem
September 14, 2020
Thank you so much sir