-अंजलि, हल्द्वानी
दिन भर मेहनत करके शाम को घर आते है वो।
मेरी एक मुस्कान पे फिदा हो जाते है वो।
जैसे कि थके ही नहीं होगें मुझे एहसास दिलाते हैं वो।
मैं जब उनकी हथेलियों को देखती हूँ छाले पड़े हैं।
तो बोलते हैं कुछ नहीं और अपनी हथेलियों को छुपाते हैं वो।
फिर आखों में आखें डाल कर मुस्कुराते हैं वो।