-प्रतिष्ठा पांडे, रूद्रपुर, उधमसिंह नगर
मार्गदर्शक शिक्षक अध्यापक गुरु
इन्हीं ने की थी मेरी जिंदगी शुरु
जिंदा थी और देती थी सब
और सोचती थी दुनिया देखूंगी कब
माता-पिता का मेरे पास था साथ
पर आगे बढ़ने के लिए चाहिए था एक हाथ
जब मैंने छोड़ी थी अपनी सारी आस
तब मेरे गुरु आए मेरे पास
वे लेकर गए जगह जहां थे बहुत बच्चे
कुछ छोटे कुछ नन्हे और कुछ कच्चे
सभी के साथ मैं भी बढ़ी
एक बात मैंने भी पढ़ी
आगे बढ़कर किसी को भूल मत जाना
अपने शिक्षक के पास एक बार फिर आना