-गीता उप्रेती, कपकोट(बागेश्वर)
द्वंद चल रहा है मन में,
आखिर रावण की क्या गलती थी?
उसने तो केवल वही किया,
जो एक बहना कि विनती थी।
राम को मिला वनवास,
मात-पिता की आज्ञा थी।
संग गए लक्ष्मण और सीता,
तो लंका कैसे दोषी थी?
रावण की बहिन थी सूर्पनखा,
करता था उससे स्नेह अथाह।
जब किया किसी ने अपमान बहिन का,
क्या उसको फिर चुप रहना था?
मान बहिन का होता क्या है?
जानते होंगे आप सभी।
यदि करे कोई उसका मान मर्दन,
क्या छोड़ देंगे उसकी गर्दन?
मैं ये नहीं कहती,
रावण का बदला नैतिक था,
यदि क्रोध में बुद्धि काम करे,
तो हर कोई यहाँ पुरुषोत्तम था।