Anjali hldwani
मैं और मेरी तन्हाई
मैं और मेरी तन्हाई दूर तक,
निकल जाया करते थे।
और कहीं पेड़ के नीचे,
बैठ के बाते किया करते थे।
मैं तन्हाई से बोला करती थी,
ये दुनिया बड़ी मतलबी हैं।
बिना मतलब के दोस्त,
रिश्तेदार कोई बात नहीं,
करते या याद नहीं करते।
और मेरी तन्हाई बोलती थी,
मैं तेरा साथ हमेशा दूंगी।
चाहे दुःख हो या सुखं,
अब मैं और मेरी तन्हाई बाते
समझने लगीं एक दूसरे की।
जब भी मैं तन्हा होती,
बस यूंही निकल पडती।
तन्हा रहने में भी बड़ा सुकून हैं
ना किसी की बुरी बाते,
ना किसी की बुरी नज़र।
बस मैं और मेरी तन्हाई,
मुझे अच्छा लगा कि मेंरी दोस्ती
मेरी तन्हाई से है।
ना रोक ना टोंक बस खुद,
मे ही खो जाती हूँ।
कभी आप तन्हा रहे होंगे तो आपने एक बात हमेशा महसूस
की होगी
तन्हाई में ना ये प्रकृति भी
कुछ बोलती हैं।
ये धीमी-धीमी हवा जब हमें छू कर गुज़रती हैं
हमें कुछ एहसास दिलाती हैं
ऐसे ही शांत नदी भी,
बोलती हैं ।
और ये अन गिनत कीट पतगे,
हमें धुन सुनाते हैं।
मानों ये हमें बुला रहे हो,
की हम सब तुम्हारे साथ हैं
और कमरे में घड़ी की टिक टिक
ये भी हमें तन्हाई में महसूस होती हैं।
मैं और मेरी तन्हाई दूर तक
निकल जाया करते थे।
निकलते सूरज की किरणें धरती,
पर जब पडती है ।
सारी कलियाँ खिल उठतीं
है
और पत्तों पर गिरी ओष की बूंदों
पर जब पडती हैं।
तो सुनहरी बूंदे ऐसे खिल
उठतीं हैं जैसे,
ईश्वर ने धरती पर मोती बिखेर दियें हो
हर सुबह मेंने नई उर्जा
महसूस की।
सुबह की किरणें जब नदी या तालाबों पर पड़ी तो टीम-टीमाने लगीं और ।
नदी तलाबो मे सरमाके एक हलचल सी होने लगी।
ये कोयल की मदहोश करनें
वाली आवाज़ और चिड़िया
और चिड़िया की चहचहाट मानों
कोई नई बात बता रहीं हो,
और मुझे सता रही हो।
फिर डूबता सूरज अपनी,
लालिमा यू नदियों, तालाबों,और
आकाश पर बिखेर रहा हो मानों
लाल और नारंगी रगों का
पिटारा खोल दिया किसी ने।
सारे पशु पक्षी अपने घरों को लौट रहे हैं ।
कोवे और कबूतरों का झुंड
उड -उड के शाम होने का,
इशारा कर रहे हैं
डूबते सूरज की लाली मुझसे सरम हया,और मेरे गालों को,
सुर्ख बना रहीं हैं
बस मे और मेरी तन्हाई दूर
तक निकल जाया करते थे।
निकलते सूरज और डूबते हुए सूरज मुस्कुराया करते हैं।
फिर रात में चाँद की
शीतलता भी कुछ बता रही है।
ये तारों की झील -मील मुझे सता रही है।
मेडक की वो करकस
आवाज़ भी मुझको भांती है
वो जूगनू की झील-मिल मुझे
रोशनी दे जाती हैं।
रात की रानी की खुशबू
मुझे मदहोश बना रही हैं
मानों इस मधुर रात को प्रकृति
इत्र से महकाया हो।
और ये मधुर रात को चाँद
तारों ने अपनी रोशनी से सजाया हो।
रांग सुना रहे हैं अनगिनत कीट पतंग।
किया आप सभी को भी ये
सब भाया है।
मैं और मेरी तन्हाई ने मिलकर ये,
आजमाया है।
आप सब भी इसे महसूस
करें,
जो मैने लिखकर बताया हैं।