-किरन पंत’वर्तिका’, हल्द्वानी उत्तराखंड
गलियां सब सुन्न पड़ गयी है
दिन ढलने लगा है जल्दी
हवाएं भी सर्द पड़ रही हैं
लगता है ठंड बढ़ रही है।
सब साथ बैठने लगे हैं
घर आने लगे हैं जल्दी
मिलकर खूब गप्पे चल रही हैं
लगता है ठंड बढ़ रही है।
यही बात सुबह में कुछ खास लग रही है
उठने का मन नहीं है जल्दी
मीठी नींद की तलब लग रही है
लगता है ठंड बढ़ रही है।
सूरज की किरणें मीठी लग रही है
बर्फ पिघल रही है जल्दी
पत्तों में ओंस की बूंदें पड़ रही है
लगता है ठंड बढ़ रही है।