-उर्वशी भट्ट, बसंत विहार हल्द्वानी
सुबह सलोनी आज की,
रवि किरण अलग है आज।
पवन पसारे पंख उड़े,
खग गीत गूंजे आकाश।।
पत्र सुर सम सारंगी ,
प्रेम सुगंध साजे संसार।
बाल हिय हासैं लगे,
है चित प्रफुल्लित आज।।
-उर्वशी भट्ट, बसंत विहार हल्द्वानी
सुबह सलोनी आज की,
रवि किरण अलग है आज।
पवन पसारे पंख उड़े,
खग गीत गूंजे आकाश।।
पत्र सुर सम सारंगी ,
प्रेम सुगंध साजे संसार।
बाल हिय हासैं लगे,
है चित प्रफुल्लित आज।।