क्या आदि और क्या है अंत??
पार वही पाएगा जिसने भेद लिया अनंत।।
जीवन का कालचक्र तो यूं ही चलता जाएगा,
मोक्ष वही पाएगा,
जो कर्म- पथ पर निरंतर चलता जाएगा।।
होगी हर राह मुश्किल संभवत: पांव भी डगमगाएंगे,
पर है हौसला मजबूत और दृढ़,
निश्चय ही पर्वत भी झुक जाएंगे।।
है लक्ष्य मुश्किल तो क्या डरना फिर चुनौती से,
गर ज़िद हो तो,
है मुमकिन जीतना हर कसौटी से ।।
सपने हैं जो इन आंखों में उन्हें कभी ओझल ना होने दे,
जिंदगी इसी का नाम है इसे बोझिल ना होने दे।।
तो फिर उठ, भर ललकार और लगा जीत का हुंकार,
क्योंकि प्रयत्न बिन होते नहीं काम कोई साकार-प्रयत्न बिन होते नहीं काम कोई साकार।।
-SANA. Address : Bengaluru (Karnataka)
September 2, 2020
Very beautiful and inspirational
September 10, 2020
Wow Very nice poem
September 3, 2020
Your poem is just beautiful as you are
September 3, 2020
Very nice and motivational poem, keep it up
September 3, 2020
Very good poem
September 10, 2020
Wow Very nice poem