November 23, 2022 0Comment

काश हम बच्चे हो जाएं फिर से

-डॉ. अंकिता चांदना, हल्द्वानी

काश हम बच्चे हो जाएं फिर से
वापस मां के आंचल में छिप जाएं फिर से
कभी दादी मां की कहानियां दोहराएं फिर से
कभी गुड्डा गुड़िया की शादी रचाएं फिर से
काश हम…………….

वापस लौट मां की गोद में सो जाएं फिर से
हंसी ठिठोली, दोस्तों की टोली बनाएं फिर से
खेल खिलौने धूम धड़ाका मचाएं फिर से
काश हम…………….

साइकिल की रेस, अंताक्षरी का दौर चलाएं फिर से
चित्रहार और रंगोली के गीत दोहराएं फिर से
इस जीवन की व्यस्तता में हम यूं खो गए हैं
प्रभू हम इतने बड़े कब हो गए
जिम्मेदारी काम के बिजी शेड्यूल में यूं खो गए
कि पता न चला कब इतने बड़े हो गए
काश कि बारिश की बूंदों में हम फिर से भीग जाएं
पानी में फिर से कागज की नौका चलाएं
वापस जी लें उस बचपन को एक बार फिर से
जहां इन छोटी-छोटी चीजों में खुशियों का डेरा था
मस्ती की थी दिनचर्या और हर दिन मेरा था
कभी लौट चलें आओ फिर से उस बचपन में
हम जहां न थी कोई चिंता
और हम दम चेहरे पर एक चमकता नया सवेरा था
काश कि उन दिनों में हम वापस लौट पाते
कुछ पल सुकुन के भी निकाल पाते
इस नए दौर के मेले में हैं उलझनें बहुत
न सुलझती हमसे अब यहां हैं गुत्थियां बहुत

कोई ले चलो मुझे उस बचपन में वापस
कि दिल कहता आओ छोटे हो जाएं फिर से
हंसी ठिठोली, दोस्तों की टोली बनाएं फिर से
कुछ समय स्टृेट फ्री लाइफ बिताएं फिर से
कि काश हम बच्चे बन जाएं फिर से
उन रंगीन निराले सपनों में खो जाएं फिर से
चैन की नींद सो पाएं फिर से
काश हम बच्चे हो जाएं फिर से।

Social Share

gtripathi

Write a Reply or Comment