-मोहन जोशी, दर्शानी , गरुड़, बागेश्वर,उत्तराखण्ड।
साथियों गम और खुशियों से भरी है जिन्दगी
इक किराये की समझ लो कोठरी है जिन्दगी।।
गम के मौजों में गज़ल है गीत है गर गा सको।
प्यार की महफिल में दिलकश शायरी है जिन्दगी।
ले कहाँ जाओगे दौलत जो कमाई थी बहुत
अंततः यारों कफ़न की सहचरी है जिन्दगी।।
रहने को खुश कोई तरकीबें न हो पायीं सफल।
हर समय लगती खफा सी बाँवरी है जिन्दगी।।
दुश्मनों ने सर उठाए हैं तभी इतिहास में।
सिर्फ गद्दारी के हाथों ही मरी है जिन्दगी।।
बाँट लो खुशियाँ सभी को भूल जाओ गम सदा
थोड़ी रूखी और थोड़ी रसभरी है जिन्दगी।।
हौसलों की आँख से देखोगे गर सपने नए।
लहलहाती आश है हरदम हरी है जिन्दगी।।
खूबसूरत रंग जितना हो सके मोहन भरो।
जब तुम्हारे पास कोरी डायरी है जिन्दगी।।