-प्रेम सिंह
*जीवन पथ के सच्चे राही ,जीवन पथ पर बढ़ते जाना। *
मात -पिता और गुरुजनों का,
साथ निरंतर लेते जाना,
जीवन है एक भूल भुलैया,
लेकिन तुझको पार है जाना,
मेहनत अपनी करते जाना,
जीवन पथ के सच्चे राही , जीवन पथ पर बढ़ते जाना II,
आशा और निराशा से तू ,
आशा को ही चुनते जाना।
पथ पर आएंगे कुछ पत्थर ,
उनको दूर हटाते जाना।
जीवन पथ के सच्चे राही, जीवन पथ पर बढ़ते जाना।।
जीवन क्या है इसकी चिंता,
किए बिना ही बढ़ते जाना,
बाधाएं आए नित कितनी,
उनसे ना तू घबरा जाना,
लक्ष्य पकड़कर दृढ़ता से तू,
जीवन पथ पर बढ़ते जाना।
साहस हिम्मत और प्रज्ञा से,
अपनी राह संवरते जाना,
जीवन पथ के सच्चे राही ,जीवन पथ पर बढ़ते जाना।।
मिल जाएगी जिस दिन मंजिल,
जीवन सफल बनेगा उस दिन,
जीवन की परिभाषा तुझको,
आ जाएगी पल में उस दिन।
पर ध्यान सदा तू रखना इतना,
मान सदा ना करना इसका,
तू क्या है? क्या किया है ?तूने!
इससे तू बनना अनजान ,
क्यों आया है इस जग में तू,
केवल इसका करना ध्यान,
जीवन पथ के सच्चे राही, जीवन पथ पर बढ़ते जाना।।
मात पिता और गुरुजन तेरे,
हैं तेरे गौरव की शान।
उनको याद किए चलना तू,
दर्प मान का करना त्याग।।
जीवन सफल बनेगा तेरा,
होगी तब सच्ची पहचान।।
जीवन पथ के सच्चे राही, जीवन पथ पर बढ़ते जाना।।
अपने ही तू साथ साथ ही,
गैरों का भी हाथ थाम ले ,
जो जीवन पथ के हैं राही,
उनको राह दिखा पथ की तू,
सज जाएगी राह जो उनकी,
जीवन कमल खिलेगा तेरा।।
यह तेरी सच्ची पहचान
मानव का होगा कल्याण ।।
यह ही परिभाषा जीवन की,
यह ही जीवन का सद्सार।।
जीवन पथ के सच्चे राही, जीवन पथ पर बढ़ते जाना।।