-सुबोध कुमार शर्मा शेरकोटी, गदरपुर उधम सिंह नगर
यह कैसी शर्मिन्दी है हिंदी भारत मां की बिंदी है।
अपनी ओर निहारो तुम
इसको जरा सँवारो तुम ।।
सौंदर्य भारती का है यह
इसकी जग में बुलन्दी है।।
सरल विमल है जिसकी छवि
ज्योतिर्मय हो जैसे रवि
प्रकाश पुंज है भावों का
मर्यादा की ह दबंदी है।””””””””””””
मानवता का। गौरव है
भारत मां का वैभव है
कविता की वाणी है यह
यह आदिकाल से जिंदी है,,,,,,,,,,,,
जो देववाणी से उद्भिद हो
औ जनवाणी से सुरभित हो
जो कोटि कंठ का हार बनी
मन – भावन ऐसी हिंदी है। ।।,,,,,,,,,,,
सजग हो जाओ सत्ताधारी
मत समझो इसको बेचारी
अमर रहेगी तब तक यह
जब तक यह सांसे जिंदी है।।,,,,,,
यह चंद्रवरदाई की वाणी है
रासौ की अमर कहानी है
भूषण की नव महिमा है यह
गाथाओं की मधुरिम संधि है।।,,,,,
सूर का सागर है अपरिमित
तुलसी का पावन राम चरित
मीरा का राग गोविंद है
रसखान की राधा बंदी है।।,,,,,,
बिहारी की बिरही नायिका
रहीम के नीति नाटिका
घनानंद की प्रेम कथा
अंग्रेजी की प्रतिद्वंदी है।।।।।,,,,,,,,
राष्ट्रभाषा का गौरव तो
हिंदी ने हीं पाया है
सब भाषाओं का प्यार बनी
ऐसी जन-जन की हिंदी है।।,,,,
सुबोध कुमार शर्मा शेरकोटी
गदरपुर ऊधम सिंह नगर
उत्तराखण्ड 9917535361