September 18, 2020 0Comment

हस्ती

-प्रेमा हाल्सी, रामनगर-मंगलार

एक हस्ती चली गई ,एक हस्ती के कारण।
पालक छीना नन्हे -बच्चों का, दुख दे दिया दारुण ।।

पूनम का चांद भी आज ,बन गया था अमावस ।
मां का आंचल भी आज, हो गया था कितना बेबस ।।

निष्फल हुए पत्नी के ,सारे करवा- चौथ…।
जब दिया एक हस्ती को एक हस्ती ने रौद ।।

सिसक उठे थे बहन के, बांधे… राखी के वे धागे ।
भाई का साथ छूटा, वे भाई भी थे कितने अभागे ।।

नेह भाभियों का भी,न काम आया ।
घर से गया था जो काम से ,वह लौट कर ना आया ।।

हो गया पिता का आंगन ,आज कितना बेजान …..।
अब बचे ही कहां थे ,पिता में प्राण…।।

निस्प्राण और मायूस थे वह, पथराई थी आंखें ….।
जान कहां थी अब ,बस शेष थी कुछ सांसे…।।

काल का वह भयानक मंजर ,ना भूला जाए…।
जहां भी ,हो जिस रूप में, वह शांति ..पाए ।।

जो स्वयं एक हस्ती था, परिवार में…।
उस सस्ती को मिटा दिया, हस्ती ने ही राह में…।।

 

Social Share

gtripathi

Write a Reply or Comment