-सुमित प्रताप सिंह, चर्चित युवा व्यंग्यकार, दिल्ली
हिंदी व्यंग्य का साम्राज्य धीमे-धीमे पूरे विश्व में अपनी पैठ जमा रहा है, किंतु ये साम्राज्य समाज का शोषण करने की अपेक्षा समाज में फैली विद्रूपता, विसंगतियों, विडंबनाओं, कटुता व भ्रष्टाचार से लड़ने का कार्य करता है। व्यंग्य का बेशक कोई एक नेतृत्व न हो, किंतु व्यंग्य के विभिन्न योद्धा अपने-अपने स्तर पर व अपने शक्ति और सामर्थ्य के बल पर व्यंग्य की पताका विश्व में फहरा रहे हैं। ऐसे ही एक योद्धा हैं व्यंग्यकुमार गौरव त्रिपाठी, जो हल्द्वानी में अपनी व्यंजना शक्ति से भरपूर व्यंग्य बाणों की वर्षा सामाजिक विसंगतियों, विडंबनाओं इत्यादि पर निरंतरता से किए जा रहे हैं। उनके व्यंग्य बाणों की चर्चा अक्सर विभिन्न व्यंग्य योद्धाओं के बीच एवं व्यंग्य के कथित मठों में सुनायी दे रही है। गौरव निरंतर अपने रचनाकर्म से हिंदी लेखन जगत को समृद्ध किए जा रहे हैं। उनके द्वारा दामोदर दा के माध्यम से कही गयीं पहाड़ों की कहानियाँ मैदानों, पठारों और समुद्र के किनारों पर गूँज रहीं हैं।उनके हास्य व्यंग्य पाठकों को गुदगुदाने के साथ-साथ चिंतन के लिए विवश कर रहे हैं। उनकी संस्था हरफनमौला के मंच से मंज कर निकले कलाकार देश-विदेश में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं। पत्रकारिता की जिम्मेदारी निभाने के साथ व्यंग्यकुमार गौरव त्रिपाठी व्यंग्य पताका को भी यूँ निरंतर फहराते रहें। इसी कामना के साथ मित्र गौरव त्रिपाठी को जन्मदिन की ढेर सारी बधाई एवं शुभकामनाएं!