October 01, 2022 2Comments

गांधी ज्यू तुम हमन कें करिया माफ

-मन्जू सिजवली महरा, हल्द्वानी

गांधी ज्यू तुम हमन कें करिया माफ,
तुम स्वछताक प्रेमी छिया नें,
पर आज लै गंदी छन शहरोँ गल्ली,
आज गों लै नी छन साफ।
गांधी ज्यू तुम हमन कें करिया माफ।
क्याप छ्यू हो तुमर लै टेम,
एक ठऔर बे दुहर ठऔर कब चिट्ठी पुजली कब कुशलक्षेम।
आज एन्ट्र्नेटक जमान भए,म्हणौ काम मिनटों मेंहै जाणो।
एक झूठ मेस्सज कां बटी कां पूजि जाना,
ठूल -ठुल जणि सबै आपण उल्लू सीध करणै।
तुमर चारि अब क्वै नी करणा इन्साफ।
गांधी ज्यू तुम हमन कें करिया माफ।

आप इतू ठुल आदिम विलायत बटी बेरीस्टरी पढी,
हिंदुस्तानक गरीबी हालत देखी ,घर में चरखा कातौ, बाकर पालि।
के बखत आयो आज
गरीबी मिटाण खातिर अनपड़ सनपड सबूल अपणि जमीन नापी।
पहाड़क गों गधियरो बिकास हूना,
बीच बीचे रोड जानै ,एक भिड तली एक भिड़ मलि बणनौ।
सारे जंगल हुना साफ़।
गांधी ज्यू तुम हमन क करिया माफ।

एक लडाई अजदिक तुमुल लडी अंग्रजों दगडी,
एक लडाई सबै सैणीयोल लडी समाज दगडि।
तुमरि लडाई परदेशीयो दगड छी,
पर देशी गया झगड साफ़।
पर सैणीयॉ लडाई ,!!!!!!!!!!!!!!
मन्खि नी माणनेर भा,
जसि तसी घुन टेकि ,लड़ बेर झगड बेर ,
मुट्ठी भर आसमान ली ,मुट्ठी भर जमीन।
उ पर लै लोग सैणीयॉक इस्तेमाल कर कमुणी मुनाफ।
आजी बखत लागल हुन् में समाज साफ़।
गांधी ज्यू तुम हमन कें करिया माफ।

तुम अहिंसा-अहिंसा कों छिया,
बिन हिंसा तुमुल अन्ग्रेज भगा दी,
द$$$$आज घर-घर हिँसा हैरै,
सैणी ब्वारि ,चेली बटी ,
घर ऑफ़िस,स्कुल, छोडा,
कोख में लै सुरक्षित न्है थी।
आज बाब लै चेलियॉ कें नी देखनै आख।
गांधी ज्यू तुम हमन कै करिया माफ
गांधी ज्यू तुम हमन कै करिया माफ।

तुमर स्वपन हम नी कर सकियां साकार।
नै दी सकियां देश के तुमर मन कस आकर।
कैका त टाइलेट बाथरुमक दिवार लै नोटों बणई।
कैका द्वि जुनकी रोटीक लै पत्ता साफ़।
गाँधी ज्यू तुम हमन कै करिया माफ।
गांधी ज्यू तुम हमन कै करिया माफ।

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gtripathi

2 comments

  1. Bahut hi sundar likha hai hamesha aise hi likhte rho… Saty Vachan

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  2. Very nice true words

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