September 24, 2022 15Comments

फिर एक गुड़िया वहशी नजरों की हो गई शिकार

-बीना सजवाण, हल्द्वानी

फिर एक गुड़िया वहशी नजरों की हो गई शिकार
फिर देवभूमि समाज और इंसानियत हो गई शर्मसार
एक अंकिता नहीं कितनी अंकिताओ को तड़पाया है
फिर एक मां की सूनी कोख रोई
एक पिता की आंखें शरमाई
बहन की इस हालत पर
एक भाई की आंखें लजाई
कहते हम इसको ऋषि-मुनियों की तपोभूमि
जहां बहती पावन गंगा
फिर क्यों हो रहा यहां मानव नंगा
उत्तराखंड का जब जिक्र आता
अच्छाई सच्चाई और शालीनता का नाम आता
पर आज उत्तराखंड में
यह मलीनता का दृश्य क्यों सामने आता
कैसे रोका जाएगा इन बढ़ते अपराधों को
यह सोचना होगा सत्ता में बैठी सरकारों को
शायद उस दिन कानून का साथ होगा बेटी के साथ
जिस दिन यह घिनौना कर्म होगा किसी मंत्री की बेटी के साथ
लूटी एक बेटी तो लूटा सब बेटियों का सम्मान है
बनो इंसान पहले छोड़ दो धर्म की लड़ाई
लड़ो मिलकर दरिंदों से
यह सब की है लड़ाई।

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gtripathi

15 comments

  1. बहुत खूब।

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    1. Bahut accha likha hai

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  2. Very nice ma’am ❤. Keep it up

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  3. Very nice ma’am

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  4. Nice

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  5. Very Nice

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    1. Nice mam
      Thought full meaning

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  6. Very nice and thoughtful poem..
    Keep it up MA’AM..,

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    1. Fabulous mam

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  7. Soo nice mam

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  8. Very nice

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  9. Great lines mam

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  10. Good one.

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  11. Nyc

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  12. Bahut badhiya likha hai

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