-बीना सजवाण, हल्द्वानी
फिर एक गुड़िया वहशी नजरों की हो गई शिकार
फिर देवभूमि समाज और इंसानियत हो गई शर्मसार
एक अंकिता नहीं कितनी अंकिताओ को तड़पाया है
फिर एक मां की सूनी कोख रोई
एक पिता की आंखें शरमाई
बहन की इस हालत पर
एक भाई की आंखें लजाई
कहते हम इसको ऋषि-मुनियों की तपोभूमि
जहां बहती पावन गंगा
फिर क्यों हो रहा यहां मानव नंगा
उत्तराखंड का जब जिक्र आता
अच्छाई सच्चाई और शालीनता का नाम आता
पर आज उत्तराखंड में
यह मलीनता का दृश्य क्यों सामने आता
कैसे रोका जाएगा इन बढ़ते अपराधों को
यह सोचना होगा सत्ता में बैठी सरकारों को
शायद उस दिन कानून का साथ होगा बेटी के साथ
जिस दिन यह घिनौना कर्म होगा किसी मंत्री की बेटी के साथ
लूटी एक बेटी तो लूटा सब बेटियों का सम्मान है
बनो इंसान पहले छोड़ दो धर्म की लड़ाई
लड़ो मिलकर दरिंदों से
यह सब की है लड़ाई।
September 24, 2022
बहुत खूब।
October 4, 2022
Bahut accha likha hai
September 24, 2022
Very nice ma’am ❤. Keep it up
September 24, 2022
Very nice ma’am
September 24, 2022
Nice
September 24, 2022
Very Nice
September 25, 2022
Nice mam
Thought full meaning
September 24, 2022
Very nice and thoughtful poem..
Keep it up MA’AM..,
September 26, 2022
Fabulous mam
September 24, 2022
Soo nice mam
September 24, 2022
Very nice
September 25, 2022
Great lines mam
September 26, 2022
Good one.
September 26, 2022
Nyc
September 26, 2022
Bahut badhiya likha hai