फादर्स डे के उपलक्ष्य में इकपर्णिका लाइब्रेरी में कवि सम्मेलन का आयोजन
हल्द्वानी। हरफनमौला साहित्यिक संस्था की ओर फादर्स डे के उपलक्ष्य में रविवार को छड़ायल स्थित इकपर्णिका लाइब्रेरी परिसर में एक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस दौरान कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से पिता के त्याग और समर्पण को बताया।
कार्यक्रम का शुभारंभ भारत विकास परिषद के रीजनल सचिव भगवान सहाय, वरिष्ठ भाजपा नेता मनोज पाठक, प्रमुख व्यवसायी आशीष दुम्का, देवकी नंदन पांडेय ने मां सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित करके किया। इस दौरान ललित भट्ट ने कहा- जीवन में मां का दुलार तो पिता की फटकार जरूरी है, बिना पिता की छांव के जीवन की कल्पना अधूरी है। योगेश बहुगुणा योगी ने कहा- इस जहां में मेरी आप पहचान हो, आप ही मान हो आप सम्मान हो। काशीपुर से आए कैलाश जोशी पर्वत ने कहा-सौदे जैसा हो गया लोगों का व्यवहार, भोगवाद की होड़ में कुचल गए संस्कार। कमल सिंह ने कहा-ईमानदारी से तो अब घर भी नहीं चलता, और वो वादे कर गए देश चलाने का। मनीष पंत ने कहा- अदावत में उठी आवाज को यूं छांट देता है। लुटेरा लूट से दो चार सिक्के बांट देता है।
संचालन कर रहे हास्य कवि गौरव त्रिपाठी ने सुनाया- कभी रुसवाई देखी, कभी तन्हाई देखी पर जब-जब मैं लड़खड़ाया मैंने अपने पीछे पिता की परछाईं देखी। कार्यक्रम में मंजू सिजवाली, अंकिता चांदना, ऑरव दुम्का, पूरन भट्ट, लक्षिता जोशी, हर्षिता जोशी, हर्षित ने भी कविता पाठ किया।