पितृ दिवस के उपलक्ष्य में विराट कवि सम्मेलन का आयोजन
हल्द्वानी। हरफनमौला साहित्यिक संस्था की ओर से फादर्स डे के उपलक्ष्य में जंगल फिएस्टा परिसर में विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया। इस दौरान कविताओं के माध्यम से जीवन में पिता की भूमिका को बहुत भावुकता के साथ प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि हल्द्वानी के विधायक सुमित हृदयेश और विशिष्ट अतिथि आप नेता समित टिक्कू ने मां सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित करके किया। इस दौरान हास्य कवि वेद प्रकाश अंकुर ने सुनाया-पिता न धूप देखता है, न बरसात देखता है, वो तो अपने बच्चों के लिए ऊंचे ख्वाब देखता है। वरिष्ठ हास्य कवि राजकुमार भंडारी ने कहा-अरमान अपने जितने दिल में दबाए हैं, बच्चों के लिए सब कुछ वो जान लुटाए हैं। लालकुआं से आए मोहन चंद्र जोशी मोहंदा ने कहा-दिल वालों से दिल की बात कहूं, हो मुखर कहूं न कभी मौन रहूं। रमेश चंद्र द्विवेदी ने कहा-पूज्य पिता अंश हूं, वो मेरे भगवान, उनके कुल का वंश हूं, मैं गाता गुणगान। भीमताल से आईं कवयित्री डॉ. शबाना अंसारी ने कहा-घर का मुखिया भी वही है, स्वर्ग का राजा भी वही है। डॉ. भगवती पनेरू ने कहा-अपने पूज्य पिता से भरपूर आशीष पालें, आओ हर दिन को पितृ दिवस सा मना लें।
डॉ. गीता मिश्रा गीत ने कहा-पिता परमेश्वर साए पूजनीय वंदनीय, सदन नारायण है, सर्वेसर्वा घर का। किरन पंत वर्तिका ने कहा-कभी मौन कभी सन्नाटा, कभी कड़क बन जाते हैं। बिपाशा पौड़ियाल ने कहा-सबसे अच्छे सबसे प्यारे, मेरे पापा भोले-भाले। सावित्री नेगी ने कहा-मेरे सपनों में भी, मेरा ख्याल रखते हैं, मेरे दर्द का इलाज, मेरे पापा ही करते हैं। डॉ. गजेंद्र बटोही ने कहा-पिता तुम्हारे बाद ही, जानी मैंने पीर, हर पल तुमरी याद में, बरसे अंखिया नीर। डॉ. प्रदीप उपाध्याय ने कुमाऊंनी में सुनाया-आपण नान हूं जो गधा लेए घोड़ ले, बल्द बणि जां। बीना भट्ट बड़शिलिया ने कहा-जिंदगी संग तेरे बहुत हिसाब बाकी है, मेरी आंखों में अभी तक नमी बाकी है। हल्दूचौड़ से आए पूरन भट्ट ने कहा-परिवार में जिसका बड़ा खामोश सा रोल है, यह रिश्ता बड़ा तो है मगर बहुत अनमोल है। इसके अलावा कमल सिंह, रितेश जिंदल, तनुजा नयाल, ललित भट्ट, पंकज पांडेय ने भी बहुत सुंदर रचनाएं प्रस्तुत कीं। जंगल फिएस्टा स्वामी मोहन रावत ने सभी आंगतुकों का आभार जताया। इस दौरान भाजपा नेत्री आशा शुक्ला, नागेश दुबे, हिमांशु जोशी आदि उपस्थित रहे। संचालन हास्य कवि गौरव त्रिपाठी ने किया।