September 20, 2020 0Comment

एक प्रेमी

-अजय आर्या, लालकुआं

ना जाने क्या बात है तुम्हारे चेहरे पर
सामने आती है तो सारे गम भुला देता हूँ
कुछ तो जादू है तुझ में जो
दूर होने पर भी तुम्हारे ही ख्यालों में रहता हूँ

मेरे चेहरे की मुस्कान भी तुम हो
मेरे दिल की अरमान भी तुम हो
तुम ही हो हर लम्हे में मेरे
मेरी जन्नत भी तुम, मेरी मन्नत भी तुम

जाने किस तरह यह डोर बंधी है
मन में अरमानों की डोली सजी है
एक बार देखो फिर से उसी तरह
मिले थे हम पहली बार जिस तरह

 

Social Share

gtripathi

Write a Reply or Comment