-दीपिका अग्रवाल, रूद्रपुर
दोस्ती का रिश्ता होता है दिल से
दोस्ती के बिना जिंदगी है अधूरी
दोस्त के आ जाने से
जिंदगी है रौनक लाती
दोस्त है सुख दुख के साथी
रिश्ता है ये अनमोल
दिल से दिल की डोर बंधी है
है ना, इसका कोई मोल
थोड़ी मस्ती थोड़ी शरारत
रूठना और मनाना है दोस्ती
दोस्त रूठे है ,अगर इस कदर
मनाए ना माने
लगता है सारा जग रूठा हो
दोस्ती का रिश्ता, है ना खूबसूरत
ए दोस्त कहां गए तुम
ढूंढे तुम्हें भी अब ये आंखें
हर एक लम्हा हर एक पल
फिर से वो शरारत
फिर से वह मस्ती आती है याद
फिर से आ जाओ उसी रंग में
हफ्ते हो गए तुमसे मिले हुए।