June 21, 2022 1Comment

धरती माँ

-अंजलि, हल्द्वानी

माँ हूँ इसका मतलब ये,
नहीं के सारे दर्द सहूंगी।
तुम पेड़ो को काटते रहो
और मे देखती रहूँगी।
मुझे भी दर्द होता हैं
में भी रोती हूँ।
ना काटो पेड़ो को कहती हूँ
चलने दो ठंडी हवाये।
आंधी का रूप ना लेने दो,
माँ हूँ इसका मतलब ये
नही सारे दर्द सहूंगी।
मैं भी रोती हूँ आप से,
गुस्सा होती हूँ।
फिर टूटते पहाड़ों और,
खिसकती मिट्टी इस रूप
मे बात करती हूँ।
माँ हूँ इसका मतलब ये,
नहीं सारे दर्द सहूंगी पेड़
काटते हो तो लगाना भी
सीखो।
तुम ही नहीं ये लाखों पेड़,
पौधे भी मेरी सन्तान हैं।
बेशक़ ये बोलते नहीं बिन,
बोले समझ लेना माँ की
पहचान हैं।
जैसे तुम खुद को सवारते हो,
मुझे भी संवारो।
प्रदूषण से मुक्ति मिले हर,
व्यकति एक पौधा लगालो
नहीं तो मेरे क्रोध से खुद को,
बचा लो।
पेड़ नहीं तो बारिश भी,
नहीं।
बारिश नहीं तो पानी भी
कहा होगा स्वस्थ रहने के लिए,
शुद्ध जल, शुद्ध वायु को,अपना बनालो।
अच्छी जिन्दगी के लिए,
LIC तो तुम करते हो।
स्वस्थ सासो के लिए भी
पेड़ पौधों को लगालो।
आने वाले भविष्य के लिए
शुद्ध वातावरण,
शुद्ध हवाये और शुद्ध जल का
जीवन बीमा करवा लो।
सुधर जाओ सब मिलकर,
एक पौधा लगालो।
और मेरे क्रोध से खुद को
बचालो।

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gtripathi

1 comments

  1. Bahut hi sundar…
    Ek insaan bhi yahi is baat ko samjh jaw n pwd lagae …wahi asli safalta hogi..

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