Category: युवा

बोल प्रेम के

विश्वास के समुन्दर सम्हाले हुए रखना। लहरें खुशी की हरदम लहराते हुए रहना।। पलकों में सजा के रख लिया चेहरा ये फूल सा। हमदम मेरी आँखों में आते हुए रहना।। नजरों से हुई मुखातिब नजरें जो इस तरह। ये निगाह इस निगाह में डाले हुए रहना।। मुश्किल नहीं है कोई गर साथ दे सको तो। मुस्कान इन होंठों पे लाते हुए […]

मुहब्बत दो दिलों की भावनाओं की कहानी है

मुहब्बत दो दिलों की भावनाओं की कहानी है इधर मैं भी दिवाना हूँ उधर तू भी दिवानी है जमाना तो भले कहता रहे कुछ भी हमें लेकिन ये कविता तो ते’रे मेरे मुहब्बत की निशानी है गुलों से इक नयी खुशबू हवाओं में महकती है तुम्हारी याद में दिल से मे’रे कविता निकलती है जवा […]

क्यों तुम मुझको गुड़िया कहते थे पापा

क्यों तुम मुझको गुड़िया कहते थे पापा, लोगों ने तो मुझे खिलौना बना दिया। भावशून्य निर्जीव वस्तु के जैसा ही, चलता फिरता एक नमूना बना दिया।। अपनी बिटिया रानी को खुद तुमने ही, घर से दूर यहाँ गैरों में रहने को। छोड़ दिया असहाय अकेली इन सबकी, तीखी नज़रे, कड़वी बातें सहने को।। मैं सबकी […]

कबूल करो

परवाज़ नहीं, आवाज़ नहीं न साज़ यहाँ.. जाग मछँदर गोरख आया, तबला तब भी बोला था महफ़िल सूनी, जोगी बोला, भूमण्डल तब डोला था.. कबूल करो.. राजघराने छूट गये, न राजघमण्ड छूट रहा काल-खंड कई बीत गए, न राजधरम कुछ याद रहा.. कबूल करो… नाद-ब्रह्म सब छूट गए, धर्म पिपासा कहीं नहीं वो बैभव सारे […]