Category: नन्ही कलम

रिमझिम-रिमझिम वर्षा आई

वर्षा आई, वर्षा आई। रिमझिम-रिमझिम वर्षा आई। घने काले बादल आए, उमड़-घुमड़ कर नभ पर छाए। मोर नाचने लगे मस्त हो, मेढ़क ने भी गीत सुनाए। नभ पर बिजली लगी चमकने, सूखी धरती लगी महकने। रंग-बिरंगी नाव चल पड़ी, चंचल-सी लहरों पर बहनें। -स्मृति राणा, कक्षा पांच जय अरिहंत इंटरनेशनल

आओ बरखा रानी

आओ बरखा रानी, दो हमें तुम पानी। आओ बरखा रानी, दो हमें तुम पानी। तुमरे बिन हम नहीं रह सकते, जीवन संभव न कर सकते। आओ बरखा रानी, दो हमें तुम पानी। तुमरे बिन पशु-पक्षी न रह सकते, आओ बरखा रानी। दो पशु पक्षियों को पानी तुमरे बिन पेड़ नहीं रह सकते, आओ बरखा रानी […]

बादल आया

काला घोड़ा आया, बादल आया। संग ये अपने बरखा लाया। रिमझिम का, संगीत सुनाता। खुशियों का, संदेशा लाया। -वैष्णवी रानी, कक्षा पांच जय अरिहंत इंटरनेशनल

बरखा रानी आती है

जब-जब पानी आता है, पत्ते, फूल खिलाता है। बरखा रानी आती है, रिमझिम पानी लाती है। पानी आता झर-झर, बादल गरजते गर-गर-गर। बिजली रानी चमकती है, लगता अच्छा नभ-मंडल। कभी आता ज्यादा पानी, कभी आता पानी कम। कभी कहीं पर बाढ़ बोलती कभी बोलता सूखापन। -अक्षया बिष्ट, कक्षा पांच जय अरिहंत इंटरनेशनल स्कूल

हम बच्चे हैं मन के सच्चे

हम बच्चे हैं मन के सच्चे, आसमान छू जाएंगे।  देश को हम पर होगा गर्व , कुछ ऐसा करके दिखाएंगे।                बाहों में फौलाद लिए हम,                कितनी दूर निकल जाएं।                भारत माता के उपचारों का, […]

फंदा फांसी का जिसने चूम के गले लगाया था

शहीद ए आजम* फंदा फांसी का जिसने चूम के गले लगाया था। अंधे बहरे शासन को विस्फोट करके जगाया था। अपनी भरी जवानी में प्राणों को आहुत करके बसंती चोला रंगा वो शहीद भगत सिंह कहाया था। आजादी थी जिसकी दुल्हन, राष्ट्र को समर्पित तन मन। रग रग में देश भक्ति का जुनून भरा हुआ […]

बेटियां अभिशाप नहीं वरदान

अभिशाप नहीं वरदान हूं मैं, सृष्टि का मूल आधार हूं मैं, पत्थर नहीं इंसान हूं मैं, सभ्यता की पालनहार हूं मैं। मां का सम्मान हूं मैं, पिता का स्वाभिमान हूं मैं, संस्कृति की संवाहक हूं मैं, अभिशाप नहीं वरदान हूं मैं। आत्मशक्ति का मूल आधार हूं मैं, कभी दुर्गा तो कभी काली हूं मैं, मां-बाप […]

तुम क्या जानो

बेटे का दर्द, एक बेटी की जुबानी, कर दो तुम बेटा, बस इतनी सी मेहरबानी। कौन कहता कि दिल नहीं दुखता उनका बस आंसू ही तो नहीं निकलता जिनका। मन ही मन रोकर बांटे अपना गम, किंतु उनका गम नहीं किसी से कम। भाई, पिता, पति सब हैं हम परिवार की जान हम, हम ही […]

चाचा नेहरू

रोज-रोज सपने में, आते हो झूठ-मूठ। एक बार सचमुच में आओ मेरे चाचा, हाथ में गुलाब लिए राह तेरी देख रहे, इसे अपने कोट पर लगाओ मेरे चाचा। तुम हमको प्यारे थे, तुमने भी प्यार किया, वह अपना प्यार फिर दिखाओ मेरे चाचा। -सतपाल, कक्षा-3 प्राथमिक विद्यालय हल्दूपोखरा, हल्द्वानी

भारत के सम्मान हैं गांधी

भारत के सम्मान हैं गांधी, इस युग की पहचान हैं गांधी। चैराहे पर खड़े हैं गांधी, मैदानों के नाम हैं गांधी। दीवारों पर टंगे हैं गांधी, पढ़ने-पढ़ाने में हैं गांधी। राजनीति में भी हैं गांधी, मजबूरी का नाम है गांधी। टोपी की एक ब्रांड है गांधी, वोट में गांधी, नोट में गांधी। अगर नहीं मिलते […]