-शोभा आर्या मां मै नन्ही गुड़िया तेरे आंचल की, तुम्हारा आंगन,गूंजता था कभी आवाज सुनकर मेरे पायल की। मां,क्या तुम्हारा उस गली में जाना हुआ, जहां आज, नाम के लिए सिर्फ अंधेरा और सन्नाटा है, पर उसी गली में मैने अपना आखिरी पल, चीखते चिल्लाते हुए कटा है। उस गली में गिरी मेरी खून को […]