Category: कविता

एक होली भी हम संग मना लीजिये

एक होली भी हम संग मना लीजिये । मेरे हाथों से कुछ रंग लगा लीजिये ।। गुलालों की ये खुशबू महकने लगी, रंग गालो की अब तो चमकने लगी, हाथ हम जो पकड़ ले तो क्या कीजिये, एक होली भी हम संग मना लीजिये । मेरे हाथों से कुछ रंग लगा लीजिये ।। हाथ हाथो […]

चारों दिशा से नर-नारी सब,होली खेलन आत

प्रात: से जहां भंग छनत है,सब रंग गुलाल उड़ाते। चारों दिशा से नर-नारी सब,होली खेलन आत।। मस्त मलंगों की जहां टोली, सभी जहां दिवाने। पान घुला के रंग जमा के,सब लूटत सारे खजाने।। गुझिया नमकीन और ठंडई,लवके चारों कोना। छनत जलेबी और पकौड़ी,बजत कड़ाही पौना।। ऊंच-नीच का भेद नहीं, जहां कोई बड़ा ना छोटा। रंग […]

आया रंगों का त्यौहार

होली के रंग अबीर से, आओ बांटें मन का प्यार, खुशहाली आये जग में, है आया रंगों का त्यौहार, रंग भरी पिचकारी से अब, धोयें राग द्वेष का मैल, ऊंच नीच की हो न भावना, उड़े अबीर है लाल गुलाल, होली के हुड़दंग में भी, बाँटे मानवता का प्यार, खुशहाली आये जग में, है आया […]

सत़युग में श्री हरि विष्णु, त्रेता में श्री राम

सत़युग में श्री हरि विष्णु, त्रेता में श्री राम। द्वापर में श्री कृष्णा कन्हैया, कलियुग में श्री श्याम। बोला भाई राम-राम, होली हो रही जैसे की बृजधाम।। काशी में खेले भोला शंकर, अयोध्या में खेले राम। बृज के धाम में कुंवर कन्हैया,खाटू में श्री श्याम।। पार्वती संग भोला शंकर,सीता संग श्री राम। राधा संग में […]

बूढी माँ की होली

होली की ठिठोली में कुछ याद दिखाई देती है बच्चो से दूर होकर माँ ना जाने कितना रोती है आया है रंगो का मौसम तू छुट्टी लेकर आ जाना बेटा, पोते, बहु की सुन घर में आवाज सुनाई देती है   होली आयी रंग है लायी झूला मैंने सजाया है दादी का मनमोहरहा गुड्डा घर जो […]

त्योहारों का मेरा देश है

त्योहारों का मेरा देश है, उनमे से इक होली है। तश्तरियों में भरा गुलाल, नीला पीला हरा लाल, साथ में देवर भाभी जी की प्यारी हंसी ठिठोली है। त्योहारों का मेरा देश है, उनमे से इक होली है । खूब मनाते गीत हैं गाते, मिलते जुलते आते जाते, जल का रंग भी बदला बदला, इक दूजे […]

नेता

ये ज़िन्दगी कुछ और अच्छी होती; ज़िन्दगी सवालो से घिरी न होती करते रहे हमेशा नेताओ को बदनाम नेताओ से खराब किसीकी ज़िन्दगी नहीं होती । न कोई मानता है, न कोई पूजता है ये वो मूरत है जिस  पर हर  कोई थूकता है ये न होते तो मिटटी पलीत न होती नेताओ से खराब किसी की ज़िन्दगी नहीं होती ।गुण्डो की  टोली, लाशो का व्यापार लूट लूट कर भर लिया घर वार ऐसे नेता से तो हमारी फूटी किस्मत होती नेताओ से खराब किसीकी ज़िन्दगी नहीं होती । भ्रष्टाचार करना और झूठ बोलना है प्यार कि आड़ म नफरत से जोड़ना है इनको तो कोई धोबी सा धोती नेताओ से खराब किसीकी ज़िन्दगी नहीं होती । ये होते अच्छे तो अपनी भी ठाठ होती भारत कि तूती पूरी दुनिया में होती अगर ये सरकार आँखे मुदी न होती नेताओ से खराब किसीकी ज़िन्दगी नहीं होती । -रामवीर गंगवार, सितारगंज, उधमसिंह नगर

चोंचले

अनुशासन का पाठ पढ़ाता, धुल-धुल होती काया। प्रपंचों के इस दलदल में, हमने ओर न छोर पाया। सरस्वती, लक्ष्मी का गठजोड़, हो रहा सब पर तारी। एक दूजे की की पूरक बनकर सब पर भारी आत तार्या से कांपती धरती शेषनाग का सिंहासन डोला। भुवन मोहिनी मुस्कान लिए, लक्ष्मी ने लिया हिचकोला। रीझ गए माया […]

कर सब्र तू

गम के ये पहाड़ से दिन भी बीत जायेंगे रख भरोसा उस रब पे तू हमेशा ईद-दिवाली वाले दिन फिर लौटकर आयेंगे || भूलकर गम सारे हम फिर मुस्करायेंगे एक न एक दिन तो खत्म होगी काली निशा फिरेंगे पतझड़ वाले दिन तो महकती बसंत लायेंगे || बहते अश्क आंखों से रूक जायेंगे गर्द गहरी […]

नया साल

थोड़ा रूक जाओ, मना लेंगे साल नया अभी समय है, पुराना गया कहां मौसम का मिजाज बदलने दो मनाएंगे मिलकर खुशियां नया सा खिलने दो चमन आने दो फूलों पर तितलियां। क्यों आधी रात में आहे भरकर हाथों में लिए जाम तड़फते से अकड़ते से नशे में क्यूं हो परेशान आना थोड़ा रूककर सूर्योदय के […]