माँ तुम हर पल रचती हो मुझे, भ्रूण से लेकर आज तक संभालती रही हो तुम, तुम्हारा चित्त, तुम्हारी चिंता, तुम्हारा चिन्तन, तुम्हारी चाहत, तुम्हारा चूल्हा-चौकी, मैं हूँ तुम्हारी पूजा, मनौती और व्रत भी मैं हूँ। मैं जब एक कदम बढ़ता हूँ, तुम दस कदम बढ़ती हो, मेरी एक सफलता पर घर के देवी-देवता से […]