Category: कविता

मैं हिंदी हूं

-शैलेंद्र भाटिया, दिल्ली छोटा अ से शुरू होकर ज्ञ तक सिमटी हुई हूँ मैं देवनागरी की बुनियाद पर खड़ी मैं सभी की ज़ुबान हूं जहां मुझे सूर ,तुलसी, कबीर ने सींचा है तो वही महादेवी ,पंत ,निराला ने निखारा है प्रेमचंद के गोबर व होरी की वाणी हूं तो अज्ञेय व मुक्तिबोध की नई कविता […]

हिंदी का अपमान न हो

-रामरतन यादव (सहायक अध्यापक) राजकीय आश्रम पद्धति उच्चतर माध्यमिक विद्यालय खटीमा ऊधम सिंह नगर उत्तराखंड हिंदी का अपमान न हो, मान होना चाहिए, हिंदी है हम हिंदी का, सम्मान होना चाहिए | अपनी भाषा अपनी बोली, दुनिया में बेजोड़ है, हिंदी का भी विश्व में, यशगान होना चाहिए | अपनी भाषा के बिना ,पहचान न […]

बेटी का प्यार

-अंजलि, हल्द्वानी काश माॅ मै तितली होती। आजादी से घूमती रहती सुभह- सुभह माॅ मैं उड़ जाती। फूलों से रंग चुराके लाती बन जाती तेरे होटों की खुशी। काश माॅ मैं तितली होती रंग बिरंगे फूलों से मैं सिंगार तुम्हारा करती माॅ। तुमको हमेशा हँसाती मैं रूलाती कभी ना। काश माॅ मैं तितली होती हवा […]

वक्त अच्छा दौर भी लाएगा

-मनोज भट्ट, ओखलकांडा चुनौतियों का दौर थम ही नहीं रहा, एक से निपटने के बाद दूसरा , समय-समय पर दस्तक दे रहा। कायम हूं अभी उम्मीदों पर कि, वक्त अच्छा दौर भी लाएगा। अभी साथ नहीं है तो क्या हुआ, वक्त कभी तो साथ चलेगा। सोचता हूं कि सपने भी पूरे करने हैं, इसलिए सही […]

जीवन रेखा हिन्दी

-सोनू उप्रेती’साँची’, अल्मोड़ा, उत्तराखण्ड शब्दों की खान हिन्दी जनमानस की पहचान हिन्दी मातृभाषा का श्रृंगार हिwन्दी हिन्द का पहला प्यार हिन्दी।। संस्कृति की वाहक हिन्दी अभिव्यक्ति में सहायक हिन्दी रगों में सबके बहती हिन्दी हिन्द की गौरव गाथा हिन्दी।। भावों का प्रवाह हिन्दी साहित्य की धार हिन्दी वंदनीय है जग में हिन्दी घर देहरी मान […]

द्वंद चल रहा है मन में

-गीता उप्रेती, कपकोट(बागेश्वर) द्वंद चल रहा है मन में, आखिर रावण की क्या गलती थी? उसने तो केवल वही किया, जो एक बहना कि विनती थी। राम को मिला वनवास, मात-पिता की आज्ञा थी। संग गए लक्ष्मण और सीता, तो लंका कैसे दोषी थी? रावण की बहिन थी सूर्पनखा, करता था उससे स्नेह अथाह। जब […]

हर भाषा से प्यारी हिंदी

-आशा बाजपेयी ‘संभवी’, रूद्रपुर हर भाषा से प्यारी हिंदी देश की राज दुलारी हिंदी मस्तक की आभा है हिंदी बिमदी बनकर चमके हिंदी माँ का तो अरमान है ये ममता की पहचान है ये है जन्म के साथ हमारे हिंदी मातृभाषा कहलाती हिंदी हर भाषा से प्यारी हिन्दी देश की राज दुलारी हिंदी

मेरा परिवार

-मनीष पाठक, हल्द्वानी मेरा परिवार हैं मुझे सबसे प्यारा, जिसके बिना हैं पूरा संसार न्यारा। जिस पर हो परिवार का सहारा, वो हर किसी को होता हैं प्यारा। परिवार ही सबकुछ,परिवार ही सम्मान हैं। बिना परिवार के मिलता हर किसी को अपमान हैं। परिवार ही भक्ति,परिवार ही शक्ति बिना परिवार के ना हो पाती किसी […]

हिंदी भारत मां की बिंदी है

-सुबोध कुमार शर्मा शेरकोटी, गदरपुर उधम सिंह नगर  यह कैसी शर्मिन्दी है हिंदी भारत मां की बिंदी है। अपनी ओर निहारो तुम इसको जरा सँवारो तुम ।। सौंदर्य भारती का है यह इसकी जग में बुलन्दी है।। सरल विमल है जिसकी छवि ज्योतिर्मय हो जैसे रवि प्रकाश पुंज है भावों का मर्यादा की ह दबंदी […]

अनोखा रिश्ता

-कुसुम दीपक शर्मा, लालकुआं, नैनीताल मेरी यह कविता मेरी सासू मां को समर्पित हैं। जिन्होंने हर पल मुझे प्यार दिया, सम्मान दिया। आज के दौर में जहाँ रिश्तों में कड़वाहट देखने को मिलती हैं, वहाँ विश्वास और भरोसे से हर किसी के मन को जीता जा सकता हैं। यादों की मिठास निराली, बात है यह […]