Category: कविता

ना जाने कियू

-अंजलि, हल्द्वानी ना जाने बेटियों को कियू सही से उठो बेठो समझाया जाता है। सही से कपड़े पहनो और डुब्बटा डालो बताया जाता है। दर्द सहने का तो मानो सारा हिसाब बताया जाता है। 5 दिन का दर्द सहती है वो डरी-डरी रहती हैं फिर भी उसे सब कारणों की वजह बताया जाता है। 17 […]

नहीं पटाखे इस बार जलाएं

-डाक्टर भगवती पनेरू प्रवक्ता हिंदी,बिड़ला स्कूल हल्द्वानी कोविद से रहना है दूर, नियम ये मानने होंगे ज़रूर– कोरोना को न पास बुलाएं, दीवाली दीपों की मनाएं। दीवाली में दीप जलाएं, घर-घर में खुशियां छा जाएं। नहीं पटाखे इस बार जलाएं, धुआं बारूदी नहीं उड़ाएं। हवा को मिल-जुल स्वच्छ बनाएं, नहीं प्रदूषित उसे बनाएं। कोरोना का […]

मैं हूँ एक लड़की

-नीरज मिश्रा, देवल चमोली मैं हूँ एक लड़की मैं भी एक इंसान ….. मुझे जीने का अधिकार दो, ना आधा ना कम मुझे पुत्र के समान प्यार दो, घर का चूल्हा नहीं, ना ही झाड़ू लगाना, मुझे भी पढने का अधिकार दो, मैं हूँ एक लड़की मैं भी एक इन्सान, मुझे जीने का अधिकार दो, […]

पापा की लाडली

-अंजलि, हल्द्वानी पापा की लाडली हूँ उन्हे पहचानती हूँ, पापा तो कम ही बोलते हैं उन्हें जानती हूँ। पापा की लाडली हूँ, आदतें पहचानती हूँ। पापा यू तो कम ही बोलते हैं जानती हूँ। लेकिन राज जब दिल के खोलते हैं, तो उनके आँखो के आसू बोलते हैं। पापा की लाडली हूँ उन्हे पहचानती हूँ। […]

पिता हैं भगवान मेरे

-कुसुम दीपक शर्मा, लालकुआं, नैनीताल पिता हैं भगवान मेरे, पिता हैं सम्मान मेरे। पिता से हैं अस्तित्व मेरा, पिता से है पहचान मेरी।। मरहम बनकर लग जाते, जब चोट मुझे सताती। पिता बिन दुनिया सूनी, जैसे तपती आग की धूनी।। पिता प्रेम की धारा हैं, पिता जीने का सहारा हैं। पिता का प्यार हैं अनोखा, […]

माँ के गर्भ में बेटी की पुकार

-अंजलि, हल्द्वानी माँ तेरी एक एक हँसी से में भी खुश होती हूँ । तू रोती है तो मैं भी रोती हूँ । तू कितनी प्यारी है माँ कब तू अपने हाथों में पकड़े मुझे ये सोच कर खुश होती हूँ । माँ तेरी एक एक हँसी से में भी खुश होती हूँ । तू […]

मेरे पति मेरा प्यार

-अंजलि, हल्द्वानी दिन भर मेहनत करके शाम को घर आते है वो। मेरी एक मुस्कान पे फिदा हो जाते है वो। जैसे कि थके ही नहीं होगें मुझे एहसास दिलाते हैं वो। मैं जब उनकी हथेलियों को देखती हूँ छाले पड़े हैं। तो बोलते हैं कुछ नहीं और अपनी हथेलियों को छुपाते हैं वो। फिर […]

भूली -बिसरी बचपन की यादें

-गिरिलाल गोपाल मण्डल, रानीखेत, उत्तराखंड याद आता है वो पुराना स्कूल याद आती है वो हरियाली, रंग बिरंगे फूल पेड़ों की छाया में रहते थे मस्त, ना कोई टेंशन, ना कोई चिंता, कितने ही खेलों में रहते थे ब्यस्थ। कहा चला गया, वो प्यारा बचपन खुशियों की बारि शो में भीगा तनमन। मास्टरजी हमारे बड़े […]

एक प्रेमी

-अजय आर्या, लालकुआं ना जाने क्या बात है तुम्हारे चेहरे पर सामने आती है तो सारे गम भुला देता हूँ कुछ तो जादू है तुझ में जो दूर होने पर भी तुम्हारे ही ख्यालों में रहता हूँ मेरे चेहरे की मुस्कान भी तुम हो मेरे दिल की अरमान भी तुम हो तुम ही हो हर […]

हिंदी से हिंदुत्व है

-चंपा बिष्ट, च्यूनी ( खीला), भतरोंजखान ( अल्मोड़ा ) हिंदी से हिंदुत्व है , हिंदुत्व से हिंदुस्तान । हिंदी भाषा सर्वोपरि है , नित करें इसका सम्मान । हिंदी से ही सम्भव है , सारे वेदों का ज्ञान । हिंदी भाषा से ही हम पढ़ पाते हैं , गीता और कुरान । हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा […]