Category: कविता

वर्षा रानी, वर्षा रानी

वर्षा रानी, वर्षा रानी सब ऋतुओं में हो तुम सुहानी। वर्षा का जब मौसम आया, चारों ओर हरियाली लाया। आसमान में सात रंगों का, इंद्रधनुष है बन आया। इंद्रधनुष के सप्त रंगों ने, बच्चों के मन को भाया। पशु-पक्षी, मानव धरती, सब ने ही आनंद उठाया। काले-काले मेध बरसते, धरती का रंग होता धानी। भर […]

बारिश का मौसम आया है

बारिश का मौसम आया है, मन में ताजगी लाया है। सब तरफ है हरियाली, बगिया में खिली है फुलवारी। नदियां भी मस्ती में झूमें, पेड़ भी आसमान चूमंे। लगता सब कुछ नया-नया, बारिश का मौसम आया है। प्रकृति का है यह बड़ा उपहार, जो देता है खुशियां अपार। इस उपहार को हमें है संभालना, पल-पल […]

‘सावन’

तुम थे सावन और मैं नन्हीं बदरी तुम गरजते और मेघ ले आते मैं सहमी सी अपलक तुम्हें निहारती तुम रिमझिम बरस जाते और मैं अपने अंदर किणमिण करती बूंदों को छिपा लेती क्योंकि तुम्हारे सामने उनकी कोई बिसात न थी जब तुम्हारी गर्जन तर्जन समाप्त हो जाती तो तुम चल देते मैं स्वयं को […]

सफर दर सफर चलते रहे

सफर दर सफर चलते रहे दिन ढ़ला मौसम भी बदलते रहे नकाब कोई पहने, नकाब हो जाए दिन हर दिन मोम की तरह सांचों में ढ़लते रहे! वक्त वक्त की बात कभी धूप कभी बरसात दुख सुख रहता है साथ साथ सर्द हवा ने थामा हाथ कभी कभी अंगारों से पैर जलते रहे सफर दर […]

बरसे मेघ धरा पर ऐसे

बरसे मेघ धरा पर ऐसे , जैसे झूमे तुम और मैं । बूँद ने चूमा धरती को ऐसे, जैसे चूमे तुम और मैं । किसी बूँद ने सागर देखा, किसी बूँद ने प्यासे को। किसी बूँद ने आकर देखा, तेरे आँखों के काजल को। बिजली कड़क रही है देखो, आओ झूमे तुम और मैं। पहली […]

मेरा मन भी बरस रहा है

आज बारिश की कुछ बूंदों के साथ मेरा मन भी बरस रहा है, मिल गयी हैं अब बूंदे भी मिट्टी से अब मेरा मन भी तरस रहा है। और लो वो वहाँ से बादल ने भी किया इशारा है, एक मुसाफिर चला आ रहा है , देखो सखी वही प्रियतम तुम्हारा है। दौड़ कर उस […]

आज फिर तुम पर प्यार आया

आज फिर तुम पर प्यार आया जैसे मौसम को खुद पे खुमार आया होने को मौसम है प्यार का फिर भी दिल को तेरा करार आया जाने क्यों सांस थम सी जाती है जब आहट तेरी हवाएं सुना जाती है इन बूँदो में एक कशिश सी है मुझपर तेरे प्यार ने बारिश की है दिन […]

“वर्षा कितनी मनभावन है”

वर्षा कितनी मनभावन है, वर्षा कितनी मनभावन है, हर बूंद है अमृत से परिपूर्ण, हर बूंद है जीवन का प्रतीक, हर कष्ट को करती हमसे दूर, हर मन को करती यह विभोर; यह कितनी शीतल,पावन है! वर्षा कितनी मनभावन है, कृषकों का जीवन यह ऋतु है, यह जीवन है, यह अमृत है, सौंदर्य की प्रतिमूर्ति […]

मेरे पापा

मै हूँ जैसे एक ओस की बूँद  घास पर पर मेरे पापा के लिये हूँ मै एक नायाब मोती जैसे वृक्ष के सहारे बढती है एक बेल ठीक वैसे ही बढाय़ा है मेरे पापा  ने मुझे कठिनाईय़ो की ऑधी मे ढाल बन सदैव खडे रहे है मेरे पास । स्वयं को आग में जला विशिष्ठता […]

बड़ा हंसी ख्वाब है

बड़ हंसी ख्वाब है धरती और गगन का| सुना है गहन प्रेम है दोनों के बीच का | धरा तडप रही यहाँ, गगन निभा रहा वहाँ | फासलों से कब कहाँ, बदला प्रेमी है यहाँ | धैर्य सी तू रूपसी, नभ विशाल है बड़ा | भू के प्रेमजाल में, अम्बर डूबता चला | बेचैनी देख […]