Category: कविता

पापा के लिए हूं मैं एक नायाब मोती

मैं हूं जैसे एक ओस की बंद घास पर, पर मेरे पापा के लिए हूं मैं एक नायाब मोती। जैसे वृक्ष के सहारे बढ़ती है एक बेल, ठीक वैसे ही बढ़ाया है मेरे पापा ने मुझे। कठिनाइयों की आंधी में ढाल बन, सदैव खड़े रहे हैं मेरे पास। स्वयं को आग में जला विशिष्टता, के […]

थपकी देकर सुला दो ना पापा

शाम हो गई अब तो घुमने चलो ना पापा, चलते-चलते थक गई अब तो कंधों पर बिठा लो ना पापा। अंधेरे से डर लगता है सीने से लगा लो ना पापा, मम्मा तो सो गई आप ही थपकी देकर सुला दो ना पापा। स्कूल तो पूरा हो गया, अब काॅलेज जाने दो ना पापा। पाल […]

बस इतनी सी मेरी ख्वाहिश है

मेरी रब से एक गुजारिश है, छोटी सी लगानी एक सिफारिश है। रहे जीवन भर खुश मेरे पापा, बस इतनी सी मेरी ख्वाहिश है। मंजिल दूर और सफर बहुत है, छोटी सी जिंदगी की फिकर बहुत है। मार डालती ये दुनिया कब की हमें, लेकिन पापा के प्यार में असर बहुत है। पिता के बिना […]

बाबा, सच कहते थे तुम

बाबा, सच कहते थे तुम भरोसा मत करना किसी पर भी जो दिखे वो झूठ जो ना दिखे वो सच्चाई है, ये वो दौर है दुनिया का , जहाँ मतलब तक ही मतलब रहे तो इसी में सबकी भलाई है। बाबा तुम्हारी बेटी ने बस तुम्हारी सीख अपनाई है , आज तुम साथ नहीं तो […]

मेरे पिता, मेरी परछाई

मेरी परछाई हैं मेरे पिता हर सुख-दुख के साथी हैं पिता। तपती धूप में जलते हैं पिता, तब हमें सुख में रखते हैं पिता। हर फर्ज अपना निभाते हैं पिता, जीवन का हर कर्ज चुकाते हैं पिता। मेरी हर जरूरतों का ध्यान रखते हैं पिता, पर क्यों अपना ध्यान नहीं रखते हैं पिता। मेरी इज्जत, […]

मेरे पिता

कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता कभी धरती तो कभी आसमान है पिता जन्म दिया है अगर मां ने जानेगा जिससे जग वो पहचान है पिता कभी कंधे पे बिठाकर मेला दिखाता है पिता कभी बनके घोड़ा घुमाता है पिता मां अगर पैरों पे चलना सिखाती है तो पैरों पे खड़ा होना सिखाता है […]

कर्तव्यमूर्ति पिता

मेरे जीवन की नींव, परिवार का मुख्य आधार, क्रोध में भी छिपा स्नेह और असीमित प्यार, हे पिता! आप हैं, आप ही हैं। मां के श्रंगार, पायल, बिंदी, सिंदूर लाल चूड़ियों की खनखनाहट के साथ गले का सुंदर हार हे पिता! आप हैं, आप ही हैं। नामकरण, शिक्षा, विवाह और विदाई जैसे संस्कार प्रगति पथ […]

आनंद की बारिश

ओढ़े सफेद चुनरी फिर से मैं आंगन में आ बैठी हूं। अब तो बरसों मेघा प्यारे, मैं खुद को सजाकर बैठी हूं। एक बंूद तुम्हारी कोरी सी, चुनरी को फिर से रंग देगी। सूखी नदियां से जीवन में फिर से अविरल जल भर देगी। कुछ शर्त लगी है ख्याबों से मैं फिर इतराकर बैठी हूं। […]

वर्षा करवाइए

मेघ मेघ काले काले, यहां वहां जाने वाले बादल रूठिए मत, यहां भी तो आइए कोई बैठा आस में है, कोई बैठा त्रास में है घुमड़ घुमड़ कर, प्यास ही बुझाइए सावन भी सूखे सूखे, नदी नाले सारे रूठे नैन में बचा न पानी, नैन न भिगाइए खेत में लगी फसल, इंद्रदेव दो दखल माटी […]

वर्षा आयी, वर्षा आयी

वर्षा आयी, वर्षा आयी, सबके जीवन में शीतलता लायी। तपती धरती फिर मुस्कायी, चारों ओर हरियाली छायी। क्यों वर्षा कम होती, नमी धरती में जब कम होती, तब वर्षा समय पर नहीं होती। वर्षा अगर चाहते हो, तो क्यों प्रकृति से, छेड़छाड़ करते हो। ईश्वर द्वारा प्रकृति मानव के लिए एक उपहार है। फिर मानव […]