Category: कविता

एक खत-पापा के लिए

जब कोई बच्चा, पापा कहकर, दौड़कर अपने पापा के पास जाता है। मेरी आंखें भर जाती हैं, मैं भी अपने पापा से, मिलने को तड़पती हूं, पापा मैं आपको बहुत याद करती हूं, उंगली पकड़कर चलना आपने सिखाया। अपने कंधे में बिठाकर, वो सतरंगी मेला आपने दिखाया। याद है आपका, फटे जूतों में, शादियों में […]

ओ मेरे प्यारे बाबा

ओ मेरे प्यारे बाबा तेरी थपकी कैसे भूलूंगी। गोदी पर रख कर सर जो अक्सर ही आ जाती थी वो मीठी गुड़भरी सलोनी झपकी कैसे भूलूंगी ओ मेरे प्यारे बाबा तेरी थपकी कैसे भूलूंगी। एक दिवस ब्याह बीते तेरी यादें कनक बहाएंगी किसके कांधे भिगा के कॉलर जी भर के मै रो लूँगी। ओ मेरे […]

मैं धूल पिता के पांव की

मेरा अस्तित्व क्या है बस, मैं धूल पिता के पांव की। पिता ही पवित्र वंदन है जैसे माटी मेरे गांव की। पिता ही मेरे जीवन दर्शन, पिता ही स्वाभिमान हैं, पिता ही मेरी धरती माता, पिता ही आसमान हैं। पिता की बातें तीखी धूप और पिता की बातें छांव भी। मेरा अस्तित्व क्या है बस, […]

आपके लिए ये पेन चलाई है, पहली बार

मैंने पेन तो चलाई है, आज तक कई बार पापा, लेकिन इतने सालों में आपके लिए ये पेन चलाई है, पहली बार जब जन्म लिया मैंने इस जहां में मुझे बतलाया मां ने आपको बहुत खुश और मुस्कुराते पाया। मेरी जुबां पे भले ही पहला शब्द मां आया हो लेकिन उस मां शब्द का मतलब […]

दिखी मुझे भी एक परछाईं

जिंदगी की राह में, दिखी मुझे भी एक परछाईं , जो लड़ी इस दुनिया से , पल-पल मुड़ती राहों में , कभी लड़ती दिखती वो मुझको , किसी की हिमायत में , तो कभी मुहाफिज बन कर , बचाया मुझे इन कठिनाइयों में , कभी बादल सी चादर ओढ़ाकर , ले जाती मुझे आसमानों में […]

पापा आप कहां खो गए

हर बच्चे को बचपन में पापा का प्यार चाहिए, पर मेरा प्यार कहां गया बचपन में जब आप बेटा कहकर कभी-कभी पुकारते थे, तब मेरा दिल खिला-खिला उठता था तब मैं दौड़ी चली आती थी पापा आप कहां खो गए। इस बेटी की आवाज सुनो पापा हर बात आपकी मानी मैंन,े चाहे मुझे दर्द हो […]

पिता कौन है ?

माँ अगर जीवन है ,उस जीवन की डोर पिता है। माँ अगर पूरब पश्चिम है , उत्तर दक्षिण छोर पिता है। माँ अगर बारिश की बूंदें ,वर्षा बड़ी घनघोर पिता है। भरे पेट बैठे हो जो तुम, उस भोजन का स्त्रोत पिता है। अगर दिए की बाती हो तुम,उस बाती की ज्योत पिता है। माँ […]

अपने बाबूजी

माँ के पीछे माँ बन जाते अपने बाबूजी, माँ के जैसा करते जाते अपने बाबूजी। चूल्हा चौका पोछा बर्तन घर के बांकी काम, माँ के पीछे ना करते आराम हमारे बाबूजी। माँ के पीछे माँ बन जाते अपने बाबूजी, माँ के पीछे माँ के जैसे भोग लगाते बाबूजी, माँ के जैसे वृंदावन को नीर चढ़ाते […]

पिता का मान सबसे बड़ा सम्मान

पिता का मान सबसे बड़ा सम्मान, पिता धर्म सबसे बड़ा है कर्म। सलाम है उस पिता को मेरा, जिसने मुझे इस योग्य बनाया, पढ़ाया, लिखाया, मेरा मान बढ़ाया। वक्त बुरा नहीं था वो, जब किस्मत ने तेरा साथ न दिया, सोचकर रो पड़ता हूं मैं, जबसे उस दिन को है याद किया। जिंदगी में आपने […]

क्या लिखूं पिता के बारे में

क्या लिखूं पिता के बारे में, शब्दों में बयां कर सकती नहीं, मां ज्योति तो पिता दीपक हैं, पिता की यादें धुंधली हो सकती नहीं, मां की ममता पिता का प्यार, पिता सा दुलार कोई कर सकता नहीं। मां छाया तो पिता वटवृक्ष है, पिता जैसा महारथी कोई हो सकता नहीं, मां नैया तो पिता […]