Category: कविता

अंग्रेजो की भाषा का हम पर असर हो गया

-पूनम छिमवाल, भतरोजखान नैनीताल अंग्रेजो की भाषा का हम पर असर हो गया है । हिंदुस्तानी भाषा का चलन मुश्किल हो गया है । अब हर घर बच्चा बर्गर पिज्जा और चाइनीज खाना सीख गया है रोटी सब्जी को खाए अब जैसे ज़माना ही बीत गया है । अब बच्चा माता को मोम कहने लगा […]

हिन्दुत्व की परिचायक हिन्दी

-निशान्त गहतोड़ी…, सितारगंज हिन्दुत्व की परिचायक हिन्दी जन्मदाता है मानवता की भारत की ये शान है, दी शिक्षा धर्म की हमको संत कबीर, रसखान महान हैं! 1! रचे गये साहित्य इसी में याचे गये इतिहास है, हिन्दी से ही होता अपने पन का आभास है! 2! राष्ट्र एकता की बुनी हुई जड़ राजकुमारी संस्कृत की […]

कितना अकेला

कितना अकेला अकेले अकेले चला आया मदमस्त हो कर बिंदास फर्क नहीं कौन आस पास अकेला कूदता फांदता जाने कितने रोड़े , पहाड़ों को लांघता फिर आया एक शिखर पर चांदी सी ले धार वहीं से निखर गया निर्मल शीतल जल को लेकर ऊंचाई से सहसा छलक पड़ा हूं। एक धवल चादर सा तान प्रकृति […]

आ गये तुम?

आ गये तुम? देखो,दरवाजा खुला है, अरे, रुको तनिक, पायदान पर अपना अहं झाड़ आना.. बच्चों की ठिठोली से थोड़ी शरारत ले आना आओ भीतर गर्म चाय की चुस्की से मन हल्का कर लेना.., करके अपनी सावधानीयाँ, निकलो घर से दोबारा,, लौटौगे फिर से जब भी तुम, पायदान पर अपना अहं झाड़ आना.. तनिक संक्रमण […]

मंजिल का सफर

भोर भयी अब उठ रे बन्दे मंजिल का सफर अभी बाकी है प्रातः काल का विहंगम दृश्य पक्षियों का कोलाहल देख मंद-मंद हवाएँ दूर क्षितिज में उगता सूरज प्रकृति का कौतूहल देख आलस्य छोड निकल कर्तव्य पथ पर अभी तो दुनियां सपनों की है भाई! मंजिल का सफर अभी बाकी है। कोशिशें एक के बाद […]

विनती मां नंदा सुनंदा से

मां! नगर भ्रमण पर मत निकलना अबकी बार! व्याप्त है चारों ओर महामारी की विभीषिका! इस समय तुम्हारी सौम्य मनोहारी छवि मास्क के साथ! नहीं -नहीं! न जाने कब दानव के कोरोना अवतार की कुदृष्टि पड़ जाए तुम पर? और विवश होकर भागना पड़े एक बार फिर अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए| कोरोना योद्धाओं […]

कर्म-पथ

क्या आदि और क्या है अंत?? पार वही पाएगा जिसने भेद लिया अनंत।। जीवन का कालचक्र तो यूं ही चलता जाएगा, मोक्ष वही पाएगा, जो कर्म- पथ पर निरंतर चलता जाएगा।। होगी हर राह मुश्किल संभवत: पांव भी डगमगाएंगे, पर है हौसला मजबूत और दृढ़, निश्चय ही पर्वत भी झुक जाएंगे।। है लक्ष्य मुश्किल तो […]

अपनी चाह

अंतर होता है थक के बैठने में और हार के बैठने में गलती न कीजिएगा हुजूर अंतर पहचानने में थक कर बैठा, फिर उठ खड़ा हो सकता है और चाहने से पाने तक का सफर मुकम्मल कर सकता है अंतर होता है खेल से हारने में और मन से हारने में गलती न कीजिएगा हुजूर […]

कंधे पर जिसकी वो नन्हीं उम्र बिताई

कंधे पर जिसकी वो नन्हीं उम्र बिताई, अंगुली जिसकी थाम के, कदमों ने ली अंगड़ाई, पग बढ़ाने का हौसला देकर, पैरों पर जिसने खड़ा किया, मेरी आस, मेरा विश्वास, मेरे पिता मेरी परछाई। कभी परिवार बीच अकेला, तो कभी अकेला ही परिवार है पिता, मुसीबतें हमारी काटने वाली अकेली तलवार है पिता, सपना मेरा सच […]

दिखी दुनिया सुहानी

सबकुछ नया शुरू सुंदर कहानी, आंखें खुलीं जब, दिखी दुनिया सुहानी। बड़ी हिफाजत से मुझको उठाया, माथा चूम सीने से लगाया, पहला कदम जो मैंने उठाया, पीछे सहारा बन गिरने से बचाया। पैडल पर मैंने हां धक्का खुद था मारा, जब भी गिरी मैं, खुद उठना है सिखाया। रूकावट से नहीं डरना, खुद करनी है […]