– हर्षिता जोशी, हल्द्वानी
आज हमने इतिहास के पन्नों को पलटाया है
भारत का अतीत इन आँखों को दिखाया है
खिसक गई पैरों से धरती
आकाश ने हुंकार भरी
पलट गई धरती सारी
देह में नई चेतना जागी
रोम-रोम प्रफुल्लित हुआ
जब आर्यावर्त का अघोर अतीत सामने आया
उत्तर से लेकर दक्षिण तक
पूरब से लेकर पश्चिम तक
मेरे देश की मिट्टी अपने इतिहास की कहानियाँ बतलाती है
सरस्वती कहती है
मेरे तट पर ही तो, वेदों का ज्ञान विश्व ने पाया है।
इसी धरा ने मानवता का पाठ विश्व को पढ़ाया है।
इसी धरा पर तो श्री राम ने जन्म पाया था
लंका जाकर रावण को धर्म का पाठ पढ़ाया था
अंधकार से उजियारे तक की राह गीता ने सिखलाई है
कुरुक्षेत्र में ही तो श्री कृष्ण ने गीता सुनाई थी
‘वीर अशोक, शिवाजी की गाथाएं इस भू ने गाई थी
इसी धरा ने ध्रुव प्रहलाद जैसी अनेक संतानें जाई थी
ऐसा अमर इतिहास है जिस राष्ट्र का
गर्व से कहो हमने
इस भूमि पर ही जन्म पाया है।
इस भूमि पर ही जन्म पाया है।
November 29, 2022
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